भारतीय शेयर बाजार ने गुरुवार को एक नई ऊंचाई को छुआ जब निफ्टी ने 23,000 अंकों की महत्वपूर्ण सीमा को पार किया और सेंसेक्स ने दिन के कारोबार में 800 अंकों की भारी वृद्धि दर्ज की। यह उछाल भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा वित्तीय वर्ष 2024-25 (FY25) के लिए GDP वृद्धि के अनुमान को 7% से बढ़ाकर 7.2% किए जाने के बाद देखने को मिला।
बाजार विशेषज्ञों के अनुसार, RBI के इस सकारात्मक संशोधन ने निवेशकों के विश्वास को मजबूती प्रदान की और बाजार की धारणा को बदल दिया। विशेष रूप से, वित्तीय सेवाओं, ऑटोमोबाइल और रियल्टी सेक्टर्स में शेयरों ने शानदार प्रदर्शन किया। इसके अलावा, बैंकिंग क्षेत्र के शेयरों में भी तेजी देखी गई, जिसमें HDFC Bank, ICICI Bank, और Axis Bank जैसे प्रमुख बैंकों ने महत्वपूर्ण बढ़त दर्ज की।
रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (MPC) ने रेपो दर को 6.5% पर स्थिर रखते हुए, अपने नीतिगत रुख को ‘अनुकूलन की वापसी’ पर केंद्रित रखा। इस निर्णय से भी बाजार को बल मिला, क्योंकि यह आर्थिक स्थिरता और विकास के प्रति RBI की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
इस बढ़त के पीछे अन्य कारक भी थे, जैसे कि वैश्विक स्तर पर बढ़ती आर्थिक स्थिरता और भारत सरकार की तरफ से उठाए गए विभिन्न नीतिगत कदम, जिन्होंने निवेशकों को और भी अधिक विश्वसनीय निवेश विकल्पों की ओर आकर्षित किया।
मुख्य रूप से, वित्तीय बाजारों में यह सकारात्मक उछाल नवीनतम घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय घटनाक्रमों के प्रति RBI की प्रतिक्रिया के रूप में देखा गया। वैश्विक बाजारों में स्थिरता और अमेरिकी फेडरल रिजर्व की नीतियों पर नज़र रखते हुए, RBI ने भी अपनी मौद्रिक नीतियों को संतुलित रखा, जिससे बाजार में निवेशकों का भरोसा मजबूत हुआ।
विश्लेषकों का मानना है कि RBI के निर्णयों ने न केवल घरेलू बाजार को बल प्रदान किया है बल्कि भारतीय अर्थव्यवस्था के संदर्भ में वैश्विक निवेशक समुदाय में भी एक सकारात्मक संदेश भेजा है। इससे विदेशी निवेश में वृद्धि की संभावना बढ़ी है, जो भारतीय बाजारों के लिए एक अच्छी खबर है।
समग्र रूप में, यह वित्तीय वर्ष भारतीय शेयर बाजारों के लिए नई उम्मीदें लेकर आया है। निवेशकों का उत्साह और RBI की नीतियों में संतुलन ने मिलकर बाजार को एक नई दिशा प्रदान की है, जिससे आने वाले समय में और अधिक विकास की उम्मीद जताई जा रही है।