भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने शेयर बाजारों में पारदर्शिता और निवेशकों की सुरक्षा को और अधिक मजबूत करने के लिए नए नियम लागू किए हैं। इन नियमों के अनुसार, अब यह अनिवार्य होगा कि सभी कंपनियां जो प्रारंभिक सार्वजनिक पेशकश (IPO) के माध्यम से धन जुटाना चाहती हैं, उन्हें अपने ऑडिटर्स से इस बात का प्रमाणन प्राप्त करना होगा कि जुटाए गए धन का उपयोग सही तरीके से और उद्दिष्ट प्रयोजनों के लिए किया गया है।
यह नया नियम निवेशकों के धन की सुरक्षा और सही उपयोग सुनिश्चित करने के लिए लागू किया गया है, खासकर उन मामलों में जहां कंपनियां अज्ञात लक्ष्यों के लिए भविष्य के अधिग्रहण या अन्य बड़ी परियोजनाओं के लिए धन आवंटित करती हैं। SEBI के अनुसार, इससे पहले जहां कंपनियों द्वारा IPO के माध्यम से जुटाए गए धन के उपयोग की कोई स्पष्ट निगरानी नहीं थी, अब ऑडिटर्स द्वारा नियमित रूप से इसकी समीक्षा की जाएगी और हर तिमाही में इसकी रिपोर्ट ऑडिट समिति के समक्ष रखी जाएगी।
इस नये नियमन के प्रभाव में आने से, SEBI ने यह भी सुनिश्चित किया है कि जिन कंपनियों ने IPO के द्वारा धन जुटाया है, उनके द्वारा इस धन का उपयोग केवल उन्हीं उद्देश्यों के लिए किया जाए जो पहले से निर्धारित किए गए हैं। इसके अलावा, अगर कोई कंपनी इन नियमों का उल्लंघन करती है, तो उस पर कठोर कार्रवाई की जा सकती है जिसमें जुर्माने और अन्य प्रतिबंध शामिल हैं।
इस पहल का मुख्य उद्देश्य बाजार में विश्वास बढ़ाना और निवेशकों को उनके निवेश की सुरक्षा प्रदान करना है। SEBI के इस कदम से न केवल निवेशकों को बल मिलेगा, बल्कि यह भारतीय शेयर बाजारों की प्रतिष्ठा को भी वैश्विक स्तर पर मजबूती प्रदान करेगा।
साथ ही, SEBI ने यह भी प्रस्तावित किया है कि ऑडिट समितियों को इस तरह के प्रमाणनों की समीक्षा करने के लिए अधिक शक्तियाँ दी जाएं, ताकि वे किसी भी अनियमितता की जाँच पड़ताल कर सकें। यह सभी प्रक्रियाएं कंपनी के वार्षिक वित्तीय रिपोर्ट्स के साथ मिलकर और अधिक पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करेगी।
इस नए विनियमन के साथ, SEBI ने भारतीय पूंजी बाजार में वित्तीय अनुशासन और नैतिकता को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है।