इन्वेस्टिंग और ट्रेडिंग के बीच मुख्य अंतर समयावधि और रणनीति में होता है। इन्वेस्टिंग लंबी अवधि के लिए संपत्तियों में निवेश कर धन वृद्धि पर केंद्रित होती है, जबकि ट्रेडिंग अल्पकालिक मूल्य परिवर्तनों का लाभ उठाकर त्वरित लाभ कमाने पर ध्यान देती है। निवेशक स्थिरता और धैर्य रखते हैं, जबकि ट्रेडर नियमित खरीद-बिक्री कर बाजार के उतार-चढ़ाव से मुनाफा कमाने का प्रयास करते हैं।
Table of Contents
ट्रेडिंग क्या है? – What Is Trading In Hindi
ट्रेडिंग वह प्रक्रिया है जिसमें लाभ कमाने के उद्देश्य से वित्तीय उपकरणों, जैसे शेयर, वस्तुएं या मुद्राओं की खरीद और बिक्री की जाती है। यह प्रक्रिया मूल्य के उतार-चढ़ाव का लाभ उठाकर अल्पकालिक अवधि में मुनाफा कमाने पर केंद्रित होती है। ट्रेडिंग के विभिन्न प्रकार हैं, जैसे इंट्राडे ट्रेडिंग, जिसमें एक ही दिन में शेयरों की खरीद-बिक्री की जाती है; स्विंग ट्रेडिंग, जहां ट्रेडर कुछ दिनों या हफ्तों तक शेयर होल्ड करते हैं; और स्कैल्पिंग, जिसमें कुछ मिनटों या सेकंडों के भीतर ट्रेड संपन्न होते हैं।
ट्रेडिंग के लिए तकनीकी विश्लेषण, बाजार रुझान और मूल्य चार्ट का अध्ययन आवश्यक होता है, ताकि सही समय पर खरीद और बिक्री के निर्णय लिए जा सकें। ऑनलाइन ट्रेडिंग प्लेटफ़ॉर्म्स के माध्यम से अब ट्रेडिंग करना और भी सुलभ हो गया है, जहां निवेशक अपने डीमैट और ट्रेडिंग खातों का उपयोग करके आसानी से लेनदेन कर सकते हैं। हालांकि, ट्रेडिंग में उच्च जोखिम भी शामिल है, इसलिए उचित ज्ञान और रणनीति के साथ ही इसमें शामिल होना चाहिए।
ट्रेडिंग के प्रकार – Types of Trading in Hindi
ट्रेडिंग के विभिन्न प्रकार निम्नलिखित हैं:
- इंट्राडे ट्रेडिंग (Intraday Trading): इसमें शेयरों की खरीद और बिक्री एक ही दिन में की जाती है, यानी मार्केट के खुलने और बंद होने के बीच। इसका उद्देश्य दिनभर के मूल्य उतार-चढ़ाव से लाभ कमाना होता है।
- स्कैल्पिंग (Scalping): यह अल्पकालिक ट्रेडिंग है, जहां ट्रेडर कुछ सेकंड या मिनटों के भीतर शेयर खरीदते और बेचते हैं, छोटे-छोटे लाभ अर्जित करने के लिए। यह उच्च जोखिम और त्वरित निर्णय लेने की मांग करता है।
- स्विंग ट्रेडिंग (Swing Trading): इसमें ट्रेडर शेयरों को कुछ दिनों या हफ्तों तक होल्ड करते हैं, मूल्य स्विंग्स का लाभ उठाने के लिए। यह उन लोगों के लिए उपयुक्त है जो दैनिक ट्रेडिंग नहीं कर सकते।
- पोजिशनल ट्रेडिंग (Positional Trading): यह लंबी अवधि की ट्रेडिंग है, जहां ट्रेडर शेयरों को महीनों या सालों तक होल्ड करते हैं, दीर्घकालिक मूल्य वृद्धि की उम्मीद में।
- मोमेंटम ट्रेडिंग (Momentum Trading): इसमें ट्रेडर उन शेयरों में निवेश करते हैं जो मूल्य में तेजी से वृद्धि या गिरावट दिखा रहे हैं, त्वरित लाभ के लिए।
- आर्बिट्राज ट्रेडिंग (Arbitrage Trading): यह रणनीति विभिन्न बाजारों में मूल्य अंतर का लाभ उठाकर लाभ कमाने पर आधारित है, जिसमें ट्रेडर एक बाजार से कम कीमत पर खरीदकर दूसरे में उच्च कीमत पर बेचते हैं।
- ऑप्शन ट्रेडिंग (Options Trading): इसमें ट्रेडर को भविष्य में एक निश्चित मूल्य पर शेयर खरीदने या बेचने का अधिकार मिलता है, जिससे वे मूल्य उतार-चढ़ाव से लाभ कमा सकते हैं।
- कमोडिटी ट्रेडिंग (Commodity Trading): यहां सोना, चांदी, तेल जैसी वस्तुओं की खरीद-बिक्री की जाती है, मूल्य परिवर्तनों से लाभ कमाने के लिए।
इन्वेस्टिंग क्या है? – What Is Investing In Hindi
निवेश (इन्वेस्टमेंट) वह प्रक्रिया है जिसमें व्यक्ति या संस्था भविष्य में आर्थिक लाभ प्राप्त करने के उद्देश्य से अपनी पूंजी को विभिन्न परिसंपत्तियों, जैसे स्टॉक्स, बॉन्ड्स, रियल एस्टेट, या म्यूचुअल फंड्स में लगाते हैं। यह धन वृद्धि, आय सृजन, या पूंजी संरक्षण के लिए किया जाता है।
निवेश के माध्यम से व्यक्ति अपने वित्तीय लक्ष्यों को प्राप्त करने की योजना बनाते हैं, जैसे सेवानिवृत्ति के लिए धन संग्रह, बच्चों की शिक्षा, या संपत्ति खरीदना। यह एक दीर्घकालिक प्रक्रिया है जो समय के साथ धन वृद्धि पर केंद्रित होती है, जिससे मुद्रास्फीति के प्रभाव को कम किया जा सके और वित्तीय सुरक्षा सुनिश्चित हो।
इन्वेस्टिंग के प्रकार – Types of Investing in Hindi
निवेश के विभिन्न प्रकार निम्नलिखित हैं:
- स्टॉक्स (शेयर): किसी कंपनी में स्वामित्व का प्रतिनिधित्व करते हैं, जिससे शेयरधारक कंपनी के लाभांश और मूल्य वृद्धि से लाभान्वित हो सकते हैं। हालांकि, शेयर बाजार की अस्थिरता के कारण जोखिम भी अधिक होता है।
- बॉन्ड्स: सरकारों या निगमों द्वारा जारी किए गए ऋण उपकरण हैं, जहां निवेशक एक निश्चित अवधि के लिए पैसा उधार देते हैं और ब्याज के रूप में नियमित आय प्राप्त करते हैं। इन्हें अपेक्षाकृत सुरक्षित निवेश माना जाता है।
- म्यूचुअल फंड्स: यह निवेश साधन हैं जो स्टॉक, बॉन्ड या अन्य प्रतिभूतियों के विविध पोर्टफोलियो को खरीदने के लिए कई निवेशकों से पैसा इकट्ठा करते हैं। म्यूचुअल फंड्स पेशेवर फंड मैनेजरों द्वारा प्रबंधित किए जाते हैं, जो निवेशकों को विविधीकरण और पेशेवर प्रबंधन का लाभ प्रदान करते हैं।
- रियल एस्टेट: भौतिक संपत्तियों, जैसे भूमि, भवन और घरों में निवेश करना, जो किराये की आय या मूल्य वृद्धि के माध्यम से रिटर्न प्रदान कर सकते हैं। रियल एस्टेट निवेश को आम तौर पर दीर्घकालिक निवेश माना जाता है।
- फिक्स्ड डिपॉजिट (एफडी): बैंकों द्वारा प्रदान किया जाने वाला एक कम जोखिम वाला निवेश है, जहां आप गारंटीड ब्याज दर के बदले एक निर्दिष्ट अवधि के लिए एक निश्चित राशि जमा करते हैं। एफडी को सुरक्षित माना जाता है क्योंकि वे आमतौर पर बीमित होते हैं और एक निश्चित रिटर्न प्रदान करते हैं।
- पब्लिक प्रोविडेंट फंड (पीपीएफ): यह टैक्स बेनिफिट्स के लिए सबसे महत्वपूर्ण निवेशों में से एक है और इसे भारत सरकार द्वारा नियंत्रित किया जाता है। एक व्यक्ति पीपीएफ अकाउंट खोल सकता है और नियमित रूप से पैसा निवेश कर सकता है। यह एक लंबी अवधि का निवेश है जिसकी न्यूनतम अवधि 15 वर्ष है। निवेश किया गया पैसा और उस पर मिलने वाले ब्याज से टैक्स बेनिफिट्स मिलता है।
- यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान (यूलिप): यह निवेश और बीमा का संयोजन है, जहां प्रीमियम का एक हिस्सा बीमा कवर प्रदान करता है और बाकी हिस्सा इक्विटी या डेट फंड्स में निवेश किया जाता है। यूलिप लंबी अवधि के लिए धन संचय और बीमा सुरक्षा दोनों प्रदान करता है।
- सोना: यह एक पारंपरिक निवेश विकल्प है, जो मुद्रास्फीति के खिलाफ बचाव और मूल्य संरक्षण के लिए जाना जाता है। सोने में निवेश भौतिक रूप में या गोल्ड ईटीएफ के माध्यम से किया जा सकता है।
- वैकल्पिक निवेश: इनमें वस्तुएं, कला, प्राचीन वस्तुएं और हेज फंड्स शामिल हैं, जो पारंपरिक निवेश श्रेणियों का हिस्सा नहीं हैं। ये निवेश विविधीकरण और संभावित उच्च रिटर्न प्रदान कर सकते हैं, लेकिन इनमें जोखिम और जटिलता भी अधिक होती है।
ट्रेडिंग बनाम इन्वेस्टिंग – Trading Vs Investing In Hindi
निवेश (इन्वेस्टिंग) और ट्रेडिंग के बीच मुख्य अंतर निम्नलिखित सारणी में प्रस्तुत किए गए हैं:
पहलू | निवेश (इन्वेस्टिंग) | ट्रेडिंग |
उद्देश्य | दीर्घकालिक धन सृजन और स्थिर वृद्धि | अल्पकालिक लाभ कमाना |
समयावधि | वर्षों या दशकों तक | कुछ सेकंड से लेकर महीनों तक |
दृष्टिकोण | मौलिक विश्लेषण पर आधारित | तकनीकी विश्लेषण पर आधारित |
जोखिम स्तर | अपेक्षाकृत कम; लंबी अवधि में अस्थिरता का प्रभाव कम होता है | अपेक्षाकृत अधिक; बाजार की त्वरित अस्थिरता से प्रभावित |
लेनदेन की आवृत्ति | कम; संपत्तियों को लंबे समय तक धारण करना | अधिक; बार-बार खरीद-बिक्री करना |
इन्वेस्टिंग के लाभ – Advantages Of Investing In Hindi
निवेश करने के कई महत्वपूर्ण लाभ हैं, जो आपकी वित्तीय स्थिरता और भविष्य की सुरक्षा में सहायक होते हैं:
- धन वृद्धि (Wealth Accumulation): निवेश करने से आपकी बचत पर ब्याज या रिटर्न मिलता है, जिससे समय के साथ धन में वृद्धि होती है। यह आपको अपने वित्तीय लक्ष्यों को पूरा करने में सहायता करता है।
- वित्तीय लक्ष्य प्राप्ति (Achieving Financial Goals): निवेश के माध्यम से आप बच्चों की शिक्षा, घर खरीदना या सेवानिवृत्ति जैसी दीर्घकालिक वित्तीय लक्ष्यों को आसानी से प्राप्त कर सकते हैं।
- महंगाई से सुरक्षा (Inflation Protection): निवेश आपके धन को महंगाई के प्रभाव से बचाता है, जिससे आपकी क्रय शक्ति बनी रहती है और भविष्य में खर्चों को पूरा करने में सहायता मिलती है।
- आय का स्रोत (Source of Income): कुछ निवेश विकल्प, जैसे डिविडेंड देने वाले स्टॉक्स या रेंटल प्रॉपर्टी, नियमित आय प्रदान करते हैं, जो आपकी आर्थिक स्थिरता में योगदान करते हैं।
- विविधीकरण (Diversification): विभिन्न निवेश साधनों में निवेश करने से जोखिम कम होता है, क्योंकि यदि एक निवेश असफल होता है, तो अन्य निवेश आपको संतुलित रिटर्न प्रदान कर सकते हैं।
ट्रेडिंग के लाभ – Advantages Of Trading In Hindi
ट्रेडिंग के कई लाभ हैं, जो निवेशकों को आकर्षित करते हैं:
- त्वरित लाभ की संभावना: ट्रेडिंग, विशेष रूप से इंट्राडे ट्रेडिंग, एक ही दिन में लाभ कमाने का अवसर प्रदान करती है, जिससे निवेशकों को तेजी से रिटर्न मिल सकता है।
- रात भर के जोखिम से बचाव: इंट्राडे ट्रेडिंग में, सभी पोजीशन दिन के अंत तक बंद हो जाती हैं, जिससे निवेशक रात भर के बाजार जोखिम से बच सकते हैं।
- उच्च लिक्विडिटी: ट्रेडिंग में शेयरों की तेजी से खरीद-बिक्री संभव है, जिससे निवेशकों को अपनी पूंजी तक त्वरित पहुंच मिलती है।
- लिवरेज का उपयोग: ट्रेडिंग में लिवरेज का उपयोग करके, निवेशक कम पूंजी के साथ बड़ी पोजीशन ले सकते हैं, जिससे संभावित लाभ बढ़ता है।
- शॉर्ट-सेलिंग की सुविधा: ट्रेडिंग में, निवेशक पहले शेयर बेचकर बाद में खरीद सकते हैं, जिससे गिरते बाजार में भी लाभ कमाने का अवसर मिलता है।
इन्वेस्टिंग के नुकसान – Disadvantages Of Investing In Hindi
निवेश के कुछ संभावित नुकसान निम्नलिखित हैं:
- बाजार जोखिम: निवेश की गई राशि बाजार की अस्थिरता के कारण घट सकती है, जिससे पूंजी हानि का सामना करना पड़ सकता है।
- तरलता की कमी: कुछ निवेश, जैसे फिक्स्ड डिपॉजिट या लंबी अवधि के बॉन्ड, में समय से पहले निकासी पर पेनल्टी लग सकती है, जिससे निवेशकों की तरलता प्रभावित होती है।
- मुद्रास्फीति जोखिम: यदि निवेश का रिटर्न मुद्रास्फीति दर से कम है, तो वास्तविक क्रय शक्ति घट सकती है, जिससे निवेश का मूल्य कम हो सकता है।
- लागत और शुल्क: म्यूचुअल फंड जैसे निवेश उपकरणों में प्रबंधन शुल्क और अन्य खर्च शामिल होते हैं, जो कुल रिटर्न को कम कर सकते हैं।
- नियंत्रण की कमी: म्यूचुअल फंड में निवेश करते समय, निवेशकों के पास व्यक्तिगत निवेश निर्णयों पर सीमित नियंत्रण होता है, जिससे उनकी निवेश रणनीति प्रभावित हो सकती है।
ट्रेडिंग के नुकसान – Disadvantages Of Trading In Hindi
ट्रेडिंग के कई नुकसान हैं, जो निवेशकों को ध्यान में रखने चाहिए:
- उच्च जोखिम: ट्रेडिंग में तेजी से मूल्य परिवर्तन होते हैं, जिससे पूंजी हानि की संभावना बढ़ जाती है।
- समय की मांग: ट्रेडिंग के लिए बाजार की निरंतर निगरानी आवश्यक होती है, जिससे यह समय-संवेदनशील गतिविधि बन जाती है।
- भावनात्मक तनाव: बाजार की अस्थिरता के कारण भय और लालच जैसी भावनाएं निर्णय लेने की क्षमता को प्रभावित कर सकती हैं।
- तकनीकी जटिलता: सफल ट्रेडिंग के लिए तकनीकी विश्लेषण और उपकरणों की गहरी समझ आवश्यक है, जिससे नए निवेशकों के लिए यह चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
- लेनदेन लागत: बार-बार ट्रेडिंग करने से ब्रोकरेज शुल्क और अन्य खर्च बढ़ सकते हैं, जो कुल लाभ को कम कर सकते हैं।
किसे निवेश करना चाहिए और किसे व्यापार करना चाहिए?
किसे निवेश करना चाहिए?
जो लोग लंबी अवधि के लिए धन संचय करना चाहते हैं, वे निवेश को प्राथमिकता दें। निवेश उन लोगों के लिए उपयुक्त है जो धैर्यपूर्वक पूंजी बढ़ाना चाहते हैं और बाजार की अस्थिरता से प्रभावित हुए बिना दीर्घकालिक रिटर्न प्राप्त करना चाहते हैं। वेतनभोगी व्यक्ति, सेवानिवृत्ति की योजना बनाने वाले, और जोखिम से बचने वाले निवेशक शेयर बाजार, म्यूचुअल फंड, बॉन्ड, और रियल एस्टेट में निवेश कर सकते हैं।
किसे व्यापार (ट्रेडिंग) करना चाहिए?
जो लोग अल्पकालिक लाभ चाहते हैं और बाजार के उतार-चढ़ाव पर त्वरित निर्णय ले सकते हैं, उनके लिए ट्रेडिंग उपयुक्त है। व्यापार करने वाले व्यक्ति बाजार के रुझानों को बारीकी से समझते हैं और तकनीकी विश्लेषण का उपयोग करके तेजी से सौदे करते हैं। ट्रेडिंग उन लोगों के लिए सही है जो जोखिम उठाने की क्षमता रखते हैं, वित्तीय बाजारों की गहरी जानकारी रखते हैं, और नियमित रूप से बाजार की निगरानी कर सकते हैं।
स्टाक मार्किट में ट्रेडिंग और इन्वेस्टिंग के बीच अंतर – संक्षिप्त सारांश
- ट्रेडिंग वित्तीय संपत्तियों की खरीद-बिक्री का अल्पकालिक तरीका है, जिसमें बाजार के उतार-चढ़ाव से तेजी से लाभ कमाने पर ध्यान दिया जाता है।
- ट्रेडिंग के प्रमुख प्रकार हैं: इंट्राडे, स्विंग, पोजिशनल, स्कैल्पिंग, ऑप्शन, फ्यूचर, और आर्बिट्राज, जो विभिन्न समय अवधि और रणनीतियों पर आधारित होते हैं।
- इन्वेस्टिंग लंबी अवधि के लिए धन बढ़ाने की प्रक्रिया है, जिसमें संपत्तियों में निवेश करके पूंजी वृद्धि और वित्तीय सुरक्षा प्राप्त करने पर ध्यान दिया जाता है।
- इसमें स्टॉक्स, म्यूचुअल फंड्स, बॉन्ड्स, रियल एस्टेट, गोल्ड, एफडी, और पीपीएफ जैसे विभिन्न विकल्प शामिल हैं, जो जोखिम और रिटर्न के अनुसार चुने जाते हैं।
- ट्रेडिंग अल्पकालिक लाभ पर केंद्रित होती है, जबकि इन्वेस्टिंग दीर्घकालिक पूंजी वृद्धि पर। ट्रेडिंग में अधिक जोखिम और सक्रिय भागीदारी की आवश्यकता होती है।
- यह मुद्रास्फीति से सुरक्षा, वित्तीय लक्ष्य प्राप्ति, धन वृद्धि, और नियमित आय प्रदान करता है, जिससे दीर्घकालिक वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित होती है।
- इसमें तेजी से लाभ कमाने, लिक्विडिटी, लिवरेज और शॉर्ट-सेलिंग की सुविधा होती है, जिससे निवेशक अल्पकालिक बाजार रुझानों का लाभ उठा सकते हैं।
- इसमें बाजार जोखिम, तरलता की कमी, मुद्रास्फीति प्रभाव, और प्रबंधन शुल्क जैसी चुनौतियाँ होती हैं, जिससे निवेश पर रिटर्न प्रभावित हो सकता है।
- उच्च जोखिम, भावनात्मक तनाव, समय की मांग, तकनीकी जटिलता, और बार-बार के लेनदेन शुल्क के कारण ट्रेडिंग कठिन और अस्थिर हो सकती है।
जोखिम सहने वाले और तेजी से लाभ चाहने वाले ट्रेडिंग करें, जबकि लंबी अवधि में पूंजी वृद्धि और स्थिरता चाहने वाले इन्वेस्टिंग को प्राथमिकता दें। - आज ही ऐलिस ब्लू के साथ फ्री डीमैट खाता खोलें! स्टॉक्स, म्यूचुअल फंड्स, बॉन्ड्स और आईपीओ में मुफ्त में निवेश करें।
ट्रेडिंग बनाम इन्वेस्टिंग के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
ट्रेडिंग अल्पकालिक खरीद-बिक्री पर केंद्रित होती है, जहां निवेशक तेजी से लाभ कमाने की कोशिश करते हैं, जबकि इन्वेस्टिंग दीर्घकालिक संपत्ति निर्माण पर ध्यान देती है। ट्रेडिंग में उच्च जोखिम और सक्रिय भागीदारी होती है, जबकि इन्वेस्टिंग में धैर्य और दीर्घकालिक दृष्टिकोण आवश्यक होता है।
इन्वेस्टिंग वह प्रक्रिया है जिसमें लोग दीर्घकालिक वित्तीय लाभ के लिए धन को विभिन्न परिसंपत्तियों, जैसे स्टॉक्स, म्यूचुअल फंड, बॉन्ड, और रियल एस्टेट में लगाते हैं। यह भविष्य की वित्तीय स्थिरता और धन वृद्धि के उद्देश्य से किया जाता है।
ट्रेडिंग वित्तीय बाजारों में स्टॉक्स, कमोडिटीज, या करेंसी की खरीद-बिक्री की प्रक्रिया है, जिसमें निवेशक अल्पकालिक मूल्य परिवर्तनों का लाभ उठाकर त्वरित मुनाफा कमाने का प्रयास करते हैं। इसमें तकनीकी विश्लेषण और तेजी से निर्णय लेने की आवश्यकता होती है।
इन्वेस्टिंग विभिन्न प्रकार की होती है, जैसे स्टॉक्स, म्यूचुअल फंड्स, बॉन्ड्स, एफडी, पीपीएफ, गोल्ड, और रियल एस्टेट। प्रत्येक प्रकार के निवेश में अलग-अलग जोखिम और रिटर्न होते हैं, जो निवेशकों की वित्तीय योजनाओं और जोखिम क्षमता के अनुसार चुने जाते हैं।
ट्रेडिंग शुरू करने के लिए एक विश्वसनीय ब्रोकरेज प्लेटफॉर्म, जैसे Alice Blue के साथ डीमैट और ट्रेडिंग खाता खोलें। बाजार की समझ बढ़ाएं, स्टॉक्स और तकनीकी विश्लेषण सीखें, छोटे निवेश से शुरुआत करें, जोखिम प्रबंधन अपनाएं और सतत सीखते हुए रणनीति विकसित करें।
ट्रेडिंग और इन्वेस्टिंग दोनों में लाभ की संभावना होती है, लेकिन ट्रेडिंग में त्वरित मुनाफा और उच्च जोखिम होता है, जबकि इन्वेस्टिंग दीर्घकालिक संपत्ति निर्माण पर केंद्रित होती है। ट्रेडिंग अल्पकालिक लाभ दे सकती है, लेकिन इसमें अधिक सक्रियता और अनुभव की आवश्यकता होती है।
नहीं, ट्रेडर और निवेशक अलग होते हैं। ट्रेडर अल्पकालिक मूल्य परिवर्तनों से लाभ कमाने के लिए तेजी से खरीद-बिक्री करते हैं, जबकि निवेशक दीर्घकालिक संपत्ति निर्माण के लिए स्टॉक्स, म्यूचुअल फंड, और अन्य वित्तीय साधनों में निवेश करते हैं।
ट्रेडिंग के लिए तकनीकी चार्ट, स्टॉप-लॉस, ऑर्डर बुक, और त्वरित डेटा एक्सेस आवश्यक होते हैं, जबकि इन्वेस्टिंग के लिए फंडामेंटल एनालिसिस, बैलेंस शीट, और पोर्टफोलियो ट्रैकिंग जैसे टूल्स की जरूरत होती है।
हाँ, निवेशक और ट्रेडर दोनों रणनीतियाँ अपना सकते हैं। लंबी अवधि के लिए निवेश करना वित्तीय स्थिरता प्रदान करता है, जबकि ट्रेडिंग से अल्पकालिक लाभ लिया जा सकता है। संतुलित रणनीति से जोखिम प्रबंधन किया जा सकता है।
इन्वेस्टिंग पर दीर्घकालिक (1+ वर्ष) और अल्पकालिक (1 वर्ष से कम) पूंजीगत लाभ कर लागू होता है, जबकि ट्रेडिंग आय को व्यावसायिक आय माना जाता है और स्लैब दरों के अनुसार कर लगाया जाता है। ट्रेडिंग में अधिक लेनदेन होने से कर दायित्व अधिक हो सकता है।
डिस्क्लेमर: उपरोक्त लेख शैक्षिक उद्देश्यों के लिए लिखा गया है, और लेख में उल्लिखित कंपनियों का डेटा समय के साथ बदल सकता है। उद्धृत प्रतिभूतियाँ अनुकरणीय हैं और अनुशंसात्मक नहीं हैं।