भारत में ट्रेजरी बिल मुख्य रूप से तीन प्रकार के होते हैं: 91-दिन, 182-दिन, और 364-दिन के ट्रेजरी बिल। ये शॉर्ट-टर्म सरकारी प्रतिभूतियाँ होती हैं, जिन्हें आरबीआई जारी करता है। निवेशकों को ये डिस्काउंट पर मिलते हैं और परिपक्वता पर पूर्ण अंकित मूल्य प्राप्त होता है।
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ट्रेजरी बिल मार्केट का अर्थ – Treasury Bill Market Meaning in Hindi
ट्रेजरी बिल मार्केट वह वित्तीय बाजार है जहां अल्पकालिक सरकारी प्रतिभूतियाँ खरीदी और बेची जाती हैं। ये बिल भारत सरकार द्वारा जारी किए जाते हैं और आरबीआई के माध्यम से प्रबंधित किए जाते हैं। इनका उद्देश्य सरकार की अल्पकालिक उधारी आवश्यकताओं को पूरा करना होता है।
यह बाजार निवेशकों को सुरक्षित और तरल निवेश विकल्प प्रदान करता है। ट्रेजरी बिलों को बैंकों, वित्तीय संस्थानों और कॉरपोरेट्स द्वारा खरीदा जाता है। ये बिल डिस्काउंट पर जारी किए जाते हैं और परिपक्वता पर पूर्ण मूल्य का भुगतान किया जाता है। इससे निवेशकों को जोखिम-मुक्त रिटर्न मिलता है।
विभिन्न प्रकार के ट्रेजरी बिल – Different Types Of Treasury Bills in Hindi
भारत में ट्रेजरी बिल मुख्य रूप से तीन प्रकार के होते हैं:
- 91-दिन ट्रेजरी बिल – ये सबसे अल्पकालिक ट्रेजरी बिल होते हैं, जिन्हें सरकार द्वारा अल्पकालिक नकदी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए जारी किया जाता है।
- 182-दिन ट्रेजरी बिल – ये मध्यम अवधि के बिल होते हैं, जो निवेशकों को अपेक्षाकृत बेहतर रिटर्न प्रदान करते हैं और सरकारी वित्तीय प्रबंधन में सहायक होते हैं।
- 364-दिन ट्रेजरी बिल – ये एक वर्ष की अवधि के लिए जारी किए जाते हैं, जिनका उद्देश्य सरकार की वार्षिक वित्तीय आवश्यकताओं को पूरा करना होता है।
भारत में ट्रेजरी बिल्स कैसे खरीदें? – How To Buy Treasury Bills In India
भारत में ट्रेजरी बिल खरीदने के लिए निम्नलिखित प्रक्रिया का पालन करना होता है:
- आरबीआई रिटेल डायरेक्ट पोर्टल – व्यक्तिगत निवेशक RBI Retail Direct पोर्टल के माध्यम से ट्रेजरी बिल खरीद सकते हैं। यह एक सरल और सीधा तरीका है।
- बैंकों और ब्रोकरेज फर्मों के माध्यम से – कई बैंक और वित्तीय संस्थान अपने ग्राहकों को ट्रेजरी बिल खरीदने की सुविधा प्रदान करते हैं। इसके लिए डीमैट खाता आवश्यक हो सकता है।
- निविदा-आधारित खरीदारी – संस्थागत और व्यक्तिगत निवेशक आरबीआई की नीलामी प्रक्रिया में भाग लेकर ट्रेजरी बिल खरीद सकते हैं। यह नीलामी एनएसई और बीएसई पर भी उपलब्ध होती है।
- गैर-प्रतिस्पर्धी बोली प्रक्रिया – छोटे निवेशक आरबीआई की गैर-प्रतिस्पर्धी बोली प्रक्रिया के माध्यम से ट्रेजरी बिल खरीद सकते हैं, जहां उन्हें नीलामी में प्रतिस्पर्धा करने की आवश्यकता नहीं होती।
- म्यूचुअल फंड और टी-बिल ईटीएफ के माध्यम से – निवेशक ट्रेजरी बिलों में अप्रत्यक्ष रूप से निवेश करने के लिए म्यूचुअल फंड योजनाओं और एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड (ETF) का उपयोग कर सकते हैं।
ट्रेजरी बिल्स के लाभ और सीमाएँ – Benefits and Limitations of Treasury Bills in Hindi
ट्रेजरी बिल्स के लाभ:
- कम जोखिम – ट्रेजरी बिल भारत सरकार द्वारा जारी किए जाते हैं, जिससे इनका डिफॉल्ट जोखिम लगभग शून्य होता है।
- उच्च तरलता – इन्हें आसानी से सेकेंडरी मार्केट में बेचा जा सकता है, जिससे निवेशकों को त्वरित नकदी मिल सकती है।
- कर लाभ – ट्रेजरी बिल पर अर्जित ब्याज कुछ कर लाभों के योग्य हो सकता है, जिससे निवेशकों को कर बचत का लाभ मिलता है।
- निश्चित रिटर्न – यह निवेशकों को स्थिर और पूर्व निर्धारित रिटर्न प्रदान करता है, जिससे पूंजी संरक्षण सुनिश्चित होता है।
- विविध पोर्टफोलियो – यह निवेशकों को अपने निवेश पोर्टफोलियो में स्थिरता और संतुलन जोड़ने में मदद करता है।
ट्रेजरी बिल्स की सीमाएँ:
- कम रिटर्न – अन्य निवेश विकल्पों की तुलना में ट्रेजरी बिल अपेक्षाकृत कम रिटर्न प्रदान करते हैं।
- ब्याज दर जोखिम – बाजार में ब्याज दरों में बदलाव से ट्रेजरी बिल्स की मांग और मूल्य पर प्रभाव पड़ सकता है।
- लंबी अवधि के लिए अनुपयुक्त – यह निवेश केवल अल्पकालिक उद्देश्यों के लिए उपयुक्त होता है, लंबी अवधि के लिए नहीं।
- मुद्रास्फीति प्रभाव – यदि मुद्रास्फीति अधिक हो जाती है, तो ट्रेजरी बिल्स से मिलने वाला रिटर्न वास्तविक रूप से कम हो सकता है।
- प्रत्यक्ष निवेश जटिलता – प्रत्यक्ष नीलामी प्रक्रिया कुछ निवेशकों के लिए जटिल हो सकती है, जिससे वे बैंकों या म्यूचुअल फंड के माध्यम से निवेश करना पसंद करते हैं।
ट्रेजरी बिल्स पर कराधान – Taxation on Treasury Bills in Hindi
भारत में ट्रेजरी बिल्स से होने वाली आय को कैपिटल गेन या ब्याज आय के रूप में वर्गीकृत किया जाता है। क्योंकि ट्रेजरी बिल्स डिस्काउंट पर जारी होते हैं और परिपक्वता पर अंकित मूल्य प्राप्त होता है, इस अंतर को ब्याज आय माना जाता है और यह आयकर अधिनियम, 1961 के तहत कर योग्य होती है।
- आयकर नियम – ट्रेजरी बिल्स पर अर्जित लाभ स्लैब दरों के अनुसार निवेशक की कुल आय में जोड़ा जाता है और उसी दर से कर योग्य होता है।
- टीडीएस (TDS) लागू नहीं – ट्रेजरी बिल्स पर आमतौर पर स्रोत पर कर कटौती (TDS) नहीं होती, लेकिन निवेशकों को इसे आयकर रिटर्न में घोषित करना आवश्यक होता है।
- कैपिटल गेन कर – यदि निवेशक ट्रेजरी बिल को परिपक्वता से पहले सेकेंडरी मार्केट में बेचते हैं, तो लाभ शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन टैक्स के तहत कर योग्य हो सकता है।
- कॉर्पोरेट कराधान – कॉर्पोरेट संस्थानों के लिए, ट्रेजरी बिल्स से प्राप्त लाभ को व्यावसायिक आय के रूप में माना जाता है और कंपनियों की कर दरों के अनुसार कर लगता है।
- कर बचत विकल्प नहीं – ट्रेजरी बिल्स पर प्राप्त आय धारा 80C या किसी अन्य कर बचत प्रावधान के अंतर्गत नहीं आती, जिससे यह कर-मुक्त निवेश विकल्प नहीं बनता।
ट्रेजरी बिल के प्रकार के बारे में त्वरित सारांश
- ट्रेजरी बिल मार्केट वह वित्तीय बाज़ार है जहां सरकार द्वारा अल्पकालिक ऋण उपकरणों (ट्रेजरी बिल्स) की खरीद-फरोख्त होती है। यह निवेशकों को सुरक्षित और तरल निवेश विकल्प प्रदान करता है।
- भारत में ट्रेजरी बिल्स 91-दिन, 182-दिन और 364-दिन की परिपक्वता अवधि के आधार पर वर्गीकृत होते हैं। इन्हें डिस्काउंट पर जारी किया जाता है और परिपक्वता पर अंकित मूल्य प्राप्त होता है।
- निवेशक आरबीआई रिटेल डायरेक्ट पोर्टल, बैंकों, स्टॉक एक्सचेंज और म्यूचुअल फंड के माध्यम से ट्रेजरी बिल्स खरीद सकते हैं। आरबीआई की नीलामी प्रक्रिया के तहत गैर-प्रतिस्पर्धी बोलियां भी लगाई जा सकती हैं।
- इनका डिफॉल्ट जोखिम कम होता है, तरलता अधिक होती है और यह सुरक्षित निवेश विकल्प हैं। हालांकि, कम रिटर्न, ब्याज दर जोखिम और मुद्रास्फीति प्रभाव जैसी सीमाएँ भी होती हैं।
- ट्रेजरी बिल्स से अर्जित लाभ को ब्याज आय माना जाता है और निवेशक की कर स्लैब के अनुसार कर योग्य होता है। सेकेंडरी मार्केट में बिक्री पर शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन टैक्स लागू हो सकता है।
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ट्रेजरी बिल के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
ट्रेजरी बिल्स को उनकी परिपक्वता अवधि के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है। भारत में मुख्यतः 91-दिन, 182-दिन और 364-दिन के ट्रेजरी बिल उपलब्ध होते हैं। ये शॉर्ट-टर्म सरकारी ऋण साधन होते हैं, जो सरकार की वित्तीय आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए जारी किए जाते हैं।
ट्रेजरी बिल्स अल्पकालिक सरकारी ऋण पत्र होते हैं, जिन्हें भारत सरकार द्वारा धन जुटाने के लिए जारी किया जाता है। ये निवेशकों को सुरक्षित और निश्चित रिटर्न प्रदान करते हैं, क्योंकि इन्हें परिपक्वता पर अंकित मूल्य पर भुनाया जाता है और इन्हें आमतौर पर छूट पर बेचा जाता है।
भारत में तीन प्रकार के ट्रेजरी बिल्स होते हैं: 91-दिन, 182-दिन और 364-दिन के ट्रेजरी बिल। इनका परिपक्वता समय अलग-अलग होता है, लेकिन सभी शॉर्ट-टर्म निवेश श्रेणी में आते हैं और सरकार की अस्थायी वित्तीय आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए जारी किए जाते हैं।
उदाहरण के लिए, यदि सरकार 91-दिन का ट्रेजरी बिल ₹98 के डिस्काउंट मूल्य पर जारी करती है और परिपक्वता पर ₹100 का भुगतान करती है, तो निवेशक को ₹2 का लाभ मिलता है। यह निवेश का एक सुरक्षित और स्थिर तरीका है, जिसे सरकार की गारंटी प्राप्त होती है।
ट्रेजरी बिल्स मुख्य रूप से बैंक, वित्तीय संस्थान, म्यूचुअल फंड, बीमा कंपनियाँ और कॉरपोरेट निवेशक खरीदते हैं। खुदरा निवेशक भी आरबीआई के रिटेल डायरेक्ट पोर्टल के माध्यम से सीधे ट्रेजरी बिल्स में निवेश कर सकते हैं और सुरक्षित अल्पकालिक रिटर्न कमा सकते हैं।
ट्रेजरी बिल्स भारत सरकार द्वारा भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के माध्यम से जारी किए जाते हैं। इनका उपयोग सरकार की अल्पकालिक उधारी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए किया जाता है और ये सरकारी ऋण बाजार के एक महत्वपूर्ण घटक के रूप में कार्य करते हैं।
ट्रेजरी बिल्स में निवेश करने के प्रमुख लाभों में उच्च तरलता, कम जोखिम, निश्चित रिटर्न और सरकारी गारंटी शामिल हैं। ये छोटे निवेशकों और वित्तीय संस्थानों दोनों के लिए सुरक्षित निवेश साधन हैं और अल्पकालिक पूंजी पार्किंग के लिए उपयुक्त होते हैं।
ट्रेजरी बिल्स से अर्जित लाभ को ब्याज आय माना जाता है और यह निवेशक की कुल कर योग्य आय में जोड़ा जाता है। यदि ट्रेजरी बिल को परिपक्वता से पहले बेचा जाता है, तो उस पर शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन टैक्स लागू हो सकता है।
ट्रेजरी बिल्स की परिपक्वता अवधि 91-दिन, 182-दिन और 364-दिन की होती है। इन्हें अल्पकालिक सरकारी ऋण उपकरण माना जाता है और निवेशक परिपक्वता अवधि समाप्त होने पर पूर्ण अंकित मूल्य प्राप्त करते हैं, जिससे उन्हें स्थिर रिटर्न मिलता है।
हाँ, ट्रेजरी बिल्स में निवेश अत्यधिक सुरक्षित माना जाता है क्योंकि इन्हें भारत सरकार जारी करती है। इनमें डिफॉल्ट जोखिम लगभग शून्य होता है और निवेशकों को परिपक्वता पर गारंटीकृत भुगतान मिलता है, जिससे वे जोखिम-मुक्त निवेश विकल्प के रूप में देखे जाते हैं।
डिस्क्लेमर: उपरोक्त लेख शैक्षिक उद्देश्यों के लिए लिखा गया है, और लेख में उल्लिखित कंपनियों का डेटा समय के साथ बदल सकता है। उद्धृत प्रतिभूतियाँ अनुकरणीय हैं और अनुशंसात्मक नहीं हैं।