लिमिट ऑर्डर का इस्तेमाल आपके खरीदने या बेचने के ऑर्डर की सीमा निर्धारित करने के लिए किया जाता है। यह एक निवेशक को एक विशेष मात्रा और मूल्य आदेश देने में सक्षम बनाता है। एक मार्केट ऑर्डर निवेशक की पसंदीदा कीमत के बजाय बाजार की किसी भी कीमत पर स्टॉक खरीदना या बेचना है।
आइए एक मार्केट ऑर्डर और एक लिमिट ऑर्डर के बीच के अंतर से निपटते हैं, वे कैसे काम करते हैं, और वे व्यापारियों के लिए कितने फायदेमंद हैं।
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एक लिमिट ऑर्डर क्या है? – यह कैसे काम करता है?
लिमिट ऑर्डर एक ऐसा आदेश है जिसमें निवेशक किसी विशिष्ट मूल्य पर शेयर खरीदने या बेचने का निर्णय लेते हैं। यह आदेश तब ही निष्पादित होता है जब स्टॉक उस निर्धारित मूल्य तक पहुंचता है। उदाहरण के लिए, यदि कोई निवेशक ₹190 पर 50 शेयर खरीदना चाहता है, तो जब स्टॉक ₹190 पर पहुंचेगा, तो ऑर्डर पूरी तरह से निष्पादित होगा।
लिमिट ऑर्डर विशेष रूप से मांग और आपूर्ति पर निर्भर करता है। यदि चार निवेशक ₹250 पर शेयर खरीदने का आदेश देते हैं, तो मांग और आपूर्ति का संतुलन मूल्य पर आधारित होता है। उदाहरण के तौर पर, यदि 100 शेयर बेचे जा रहे हैं, तो कुछ निवेशकों को कम शेयर मिल सकते हैं।
लिमिट ऑर्डर एक निवेशक को यह नियंत्रित करने की सुविधा देता है कि वह कब और कितने मूल्य पर शेयर खरीदे या बेचे। उदाहरण के लिए, यदि स्टॉक ₹250 पर ट्रेड कर रहा है, और किसी निवेशक का लिमिट ऑर्डर ₹240 पर है, तो यह तब ही निष्पादित होगा जब कीमत ₹240 तक घटेगी।
लिमिट ऑर्डर की सफलता मांग और आपूर्ति पर निर्भर करती है। यदि कोई निवेशक पहले आदेश देता है, तो उसे अपनी निर्धारित कीमत पर अधिक शेयर मिल सकते हैं। यदि किसी और ने पहले आदेश दिया, तो कुछ निवेशकों को कम या कोई शेयर नहीं मिल सकते।
मार्केट ऑर्डर क्या है? – यह कैसे काम करता है?
सरल शब्दों में, मार्केट ऑर्डर का मतलब है कि निवेशक की पसंद की कीमत के बजाय बाजार में किसी भी कीमत पर स्टॉक खरीदना या बेचना। मार्केट ऑर्डर को समझने के लिए एक उदाहरण लेते हैं। निवेशक P, कंपनी L के 100 शेयर ₹50 प्रत्येक पर खरीदना चाहता है। निवेशक आदेश देता है। हालांकि, जब तक स्टॉक एक्सचेंज द्वारा इसे निष्पादित किया जाता है, तब तक कीमतें बदल सकती हैं और निवेशक को वर्तमान प्रचलित कीमत मिल जाएगी। कीमत उस कीमत से अधिक या कम हो सकती है जो निवेशक स्टॉक खरीदने का इरादा रखता है। साथ ही कीमत में बिल्कुल भी बदलाव नहीं हो सकता है।
इसलिए, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि यह खरीद आदेश है या विक्रय आदेश। यदि निवेशक मार्केट ऑर्डर देता है, तो उन्हें वर्तमान मूल्य मिलेगा जिस पर शेयर का कारोबार होगा।
मार्केट ऑर्डर और लिमिट ऑर्डर में प्रमुख अंतर – Key Differences Between Market Order and Limit Order in Hindi
मार्केट ऑर्डर और लिमिट ऑर्डर दोनों शेयर बाजार में ट्रेडिंग के लिए महत्वपूर्ण उपकरण हैं, लेकिन इनके बीच कुछ प्रमुख अंतर हैं:
विशेषता | मार्केट ऑर्डर | लिमिट ऑर्डर |
परिभाषा | वर्तमान बाजार मूल्य पर तुरंत शेयर खरीदने या बेचने का आदेश। | एक निर्दिष्ट मूल्य पर या उससे बेहतर मूल्य पर शेयर खरीदने या बेचने का आदेश। |
निष्पादन समय | तुरंत निष्पादित होता है, क्योंकि यह उपलब्ध सर्वोत्तम मूल्य पर होता है। | केवल तब निष्पादित होता है जब बाजार मूल्य निर्दिष्ट मूल्य तक पहुंचता है या उससे बेहतर होता है। |
मूल्य नियंत्रण | निवेशक मूल्य पर नियंत्रण नहीं रखते; बाजार की वर्तमान कीमत पर निष्पादित होता है। | निवेशक मूल्य पर नियंत्रण रखते हैं; आदेश केवल निर्दिष्ट मूल्य पर या उससे बेहतर मूल्य पर निष्पादित होता है। |
उपयुक्तता | जब तत्काल निष्पादन प्राथमिकता हो, भले ही मूल्य में थोड़ा उतार-चढ़ाव हो सकता है। | जब विशिष्ट मूल्य पर ट्रेड करना प्राथमिकता हो, और तुरंत निष्पादन आवश्यक न हो। |
जोखिम | मूल्य में उतार-चढ़ाव के कारण निष्पादन मूल्य अपेक्षित मूल्य से भिन्न हो सकता है। | यदि बाजार निर्दिष्ट मूल्य तक नहीं पहुंचता, तो आदेश निष्पादित नहीं होता, जिससे अवसर चूकने का जोखिम होता है। |
मार्केट ऑर्डर के फायदे और नुकसान – Advantages and Disadvantages of Market Orders in Hindi
मार्केट ऑर्डर एक ऐसा आदेश है जिसमें निवेशक वर्तमान बाजार मूल्य पर तुरंत शेयर खरीदने या बेचने का निर्देश देते हैं। इसके निम्नलिखित फायदे और नुकसान हैं:
फायदे:
- तत्काल निष्पादन: मार्केट ऑर्डर तुरंत निष्पादित होते हैं, जिससे निवेशक शीघ्रता से अपनी ट्रेडिंग रणनीति लागू कर सकते हैं।
- सरलता: इन्हें देना सरल होता है, क्योंकि इसमें केवल शेयरों की संख्या निर्दिष्ट करनी होती है; मूल्य स्वतः बाजार दर पर तय होता है।
- उच्च तरलता: मार्केट ऑर्डर उच्च तरलता वाले बाजारों में आसानी से निष्पादित होते हैं, जिससे बड़ी मात्रा में शेयरों की खरीद-बिक्री संभव होती है।
- नियमित निष्पादन: इन आदेशों के निष्पादन में कोई संदेह नहीं होता, जिससे निवेशक अपनी रणनीतियों को बिना देरी के लागू कर सकते हैं।
नुकसान:
- मूल्य में अस्थिरता: बाजार की तेजी से बदलती स्थितियों के कारण, ऑर्डर निष्पादित होने पर मूल्य अपेक्षित मूल्य से भिन्न हो सकता है।
- मूल्य नियंत्रण की कमी: निवेशक मूल्य पर नियंत्रण नहीं रखते, जिससे उच्च मूल्य पर खरीदने या कम मूल्य पर बेचने का जोखिम रहता है।
- स्लिपेज़ का जोखिम: कम तरलता वाले बाजारों में, मार्केट ऑर्डर निष्पादित होने पर मूल्य अपेक्षित मूल्य से अधिक भिन्न हो सकता है, जिससे निवेशक अधिक मूल्य चुका सकते हैं। citeturn0search2
- बाजार प्रभाव: बड़े मार्केट ऑर्डर बाजार मूल्य को प्रभावित कर सकते हैं, जिससे निष्पादन मूल्य अनुकूल नहीं हो सकता।
- उच्च अस्थिरता के दौरान जोखिम: उच्च अस्थिरता वाले बाजारों में, मार्केट ऑर्डर निष्पादित होने पर मूल्य अपेक्षित मूल्य से अधिक भिन्न हो सकता है, जिससे निवेशक अधिक मूल्य चुका सकते हैं।
लिमिट ऑर्डर के फायदे और नुकसान – Advantages and Disadvantages of Limit Orders in Hindi
लिमिट ऑर्डर एक ऐसा आदेश है जिसमें निवेशक किसी विशिष्ट मूल्य या उससे बेहतर मूल्य पर शेयर खरीदने या बेचने का निर्देश देते हैं। इसके निम्नलिखित फायदे और नुकसान हैं:
फायदे:
- मूल्य नियंत्रण: लिमिट ऑर्डर के माध्यम से निवेशक अपनी खरीद या बिक्री के लिए एक अधिकतम या न्यूनतम मूल्य निर्धारित कर सकते हैं, जिससे वे बाजार मूल्य में उतार-चढ़ाव से बच सकते हैं।
- जोखिम प्रबंधन: यह आदेश प्रकार निवेशकों को संभावित नुकसान को नियंत्रित करने में मदद करता है, क्योंकि वे केवल निर्धारित मूल्य पर ही लेन-देन करते हैं।
- स्वचालित निष्पादन: जब बाजार मूल्य निर्धारित लिमिट मूल्य तक पहुंचता है, तो लिमिट ऑर्डर स्वचालित रूप से निष्पादित हो जाता है, जिससे निवेशक को सक्रिय रूप से बाजार की निगरानी करने की आवश्यकता नहीं होती।
- लिक्विडिटी में सुधार: लिमिट ऑर्डर बाजार में लिक्विडिटी बढ़ाने में मदद करता है, क्योंकि यह अन्य निवेशकों को उपलब्धता के बारे में सूचित करता है और लेन-देन को सुविधाजनक बनाता है।
नुकसान:
- ऑर्डर का निष्पादन न होना: यदि बाजार मूल्य निर्धारित लिमिट मूल्य तक नहीं पहुंचता, तो ऑर्डर निष्पादित नहीं होता, जिससे निवेशक इच्छित मूल्य पर लेन-देन से वंचित रह सकते हैं।
- पार्शियल निष्पादन: कुछ मामलों में, लिमिट ऑर्डर का केवल एक हिस्सा निष्पादित हो सकता है, जिससे निवेशक पूरी मात्रा में लेन-देन नहीं कर पाते।
- मांग और आपूर्ति की अनिश्चितता: लिमिट ऑर्डर की सफलता मांग और आपूर्ति पर निर्भर करती है; यदि पर्याप्त विक्रेता या खरीदार नहीं हैं, तो ऑर्डर निष्पादित नहीं हो सकता।
- मूल्य चूक का जोखिम: यदि बाजार मूल्य तेजी से बदलता है, तो निवेशक अपने निर्धारित लिमिट मूल्य से चूक सकते हैं, जिससे उन्हें अनुकूल मूल्य पर लेन-देन करने का अवसर नहीं मिलता।
मार्केट और लिमिट ऑर्डर किसके लिए बेहतर हैं? – Who Should Use Market vs Limit Orders in Hindi
मार्केट और लिमिट ऑर्डर दोनों ट्रेडिंग के महत्वपूर्ण उपकरण हैं, लेकिन इनका उपयोग विभिन्न निवेशकों की आवश्यकताओं और बाजार की स्थितियों के अनुसार किया जाता है।
तत्काल निष्पादन की आवश्यकता वाले निवेशक जो निवेशक शीघ्रता से लेन-देन करना चाहते हैं, वे मार्केट ऑर्डर का उपयोग करते हैं, क्योंकि ये तुरंत निष्पादित होते हैं। उच्च तरलता वाले शेयरों में ट्रेडिंग करने वाले निवेशक जब शेयरों की खरीद-बिक्री की मात्रा अधिक होती है, तो मार्केट ऑर्डर बिना मूल्य में बड़े बदलाव के निष्पादित होते हैं।
मूल्य पर नियंत्रण चाहने वाले निवेशक जो निवेशक किसी विशिष्ट मूल्य पर या उससे बेहतर मूल्य पर लेन-देन करना चाहते हैं, वे लिमिट ऑर्डर का उपयोग करते हैं।जोखिम प्रबंधन करने वाले निवेशक यदि आप मूल्य में उतार-चढ़ाव से बचना चाहते हैं और केवल निर्धारित मूल्य पर ही लेन-देन करना चाहते हैं, तो लिमिट ऑर्डर उपयुक्त होते हैं।
लिमिट ऑर्डर कब इस्तेमाल करना चाहिए? – When Should You Use a Limit Order in Hindi
लिमिट ऑर्डर एक ऐसा आदेश है जिसमें निवेशक किसी विशिष्ट मूल्य या उससे बेहतर मूल्य पर शेयर खरीदने या बेचने का निर्देश देते हैं। इसे तब उपयोग में लाना चाहिए जब:
- मूल्य पर नियंत्रण की आवश्यकता हो: यदि आप किसी शेयर को एक निश्चित मूल्य पर या उससे कम मूल्य पर खरीदना चाहते हैं, या एक निश्चित मूल्य पर या उससे अधिक मूल्य पर बेचना चाहते हैं, तो लिमिट ऑर्डर उपयुक्त होता है। इससे आप अपने लेन-देन की कीमत पर नियंत्रण रख सकते हैं।
- जोखिम प्रबंधन करना हो: यदि आप बाजार की अस्थिरता से बचना चाहते हैं और सुनिश्चित करना चाहते हैं कि आपकी खरीद या बिक्री एक निर्दिष्ट मूल्य पर हो, तो लिमिट ऑर्डर का उपयोग लाभकारी होता है। यह आपको संभावित नुकसान से बचाने में मदद करता है।
- समय की लचीलापन हो: यदि आप तुरंत लेन-देन निष्पादित करने के लिए तैयार नहीं हैं और मूल्य में उतार-चढ़ाव के साथ समय बिता सकते हैं, तो लिमिट ऑर्डर उपयुक्त है। यह आदेश तब तक निष्पादित नहीं होगा जब तक बाजार मूल्य आपके निर्धारित लिमिट मूल्य तक नहीं पहुंचता।
- विशिष्ट मूल्य स्तरों पर लेन-देन करना हो: यदि आप मानते हैं कि किसी विशेष मूल्य पर शेयरों की मांग या आपूर्ति बदल सकती है, तो आप उस मूल्य पर लिमिट ऑर्डर सेट कर सकते हैं। यह रणनीति समर्थन या प्रतिरोध स्तरों पर लेन-देन करने में सहायक होती है।
ऑनलाइन ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म पर मार्केट और लिमिट ऑर्डर कैसे लगाएं? – How to Place Market and Limit Orders Online Hindi
ऑनलाइन ट्रेडिंग प्लेटफ़ॉर्म पर मार्केट और लिमिट ऑर्डर लगाना एक सीधी प्रक्रिया है। नीचे दिए गए चरणों का पालन करके आप इन ऑर्डरों को आसानी से सेट कर सकते हैं:
- ट्रेडिंग प्लेटफ़ॉर्म में लॉगिन करें: अपने ट्रेडिंग खाते में उपयोगकर्ता नाम और पासवर्ड के माध्यम से लॉगिन करें।
- स्टॉक का चयन करें: उस स्टॉक को खोजें जिसे आप खरीदना या बेचना चाहते हैं।
- ऑर्डर प्रकार चुनें: ऑर्डर प्रकार के विकल्प में से ‘लिमिट’ चुनें।
- लिमिट मूल्य सेट करें: वह मूल्य दर्ज करें जिस पर आप स्टॉक खरीदना या बेचना चाहते हैं।
- मात्रा निर्दिष्ट करें: कितने शेयर खरीदने या बेचने हैं, यह दर्ज करें।
- ऑर्डर सबमिट करें: सभी विवरण जांचने के बाद, ‘सबमिट’ या ‘प्लेस ऑर्डर’ पर क्लिक करें।
मार्केट बनाम लिमिट ऑर्डर – मार्केट बनाम लिमिट ऑर्डर
अब जबकि हमने परिभाषाएँ स्थापित कर ली हैं, तो चलिए मार्केट ऑर्डर और लिमिट ऑर्डर के बीच अंतर का पता लगाते हैं।
- मार्केट ऑर्डर यह सुनिश्चित करता है कि खरीदने या बेचने का आपका अनुरोध निष्पादित हो जाएगा।
- एक सीमित आदेश में, यह मामला नहीं हो सकता है क्योंकि आपकी वांछित कीमत के लिए कोई खरीदार या विक्रेता नहीं हो सकता है।
- मार्केट ऑर्डर का मूल्य पर कोई बंधन नहीं है। इसलिए, बड़े ऑर्डर निष्पादित किए जा सकते हैं।
- एक लिमिट ऑर्डर ऐसा करने में सक्षम नहीं हो सकता है क्योंकि बड़े ऑर्डर के लिए पर्याप्त खरीदार या विक्रेता नहीं हो सकते हैं।
- लिमिट ऑर्डर घाटे को कम करने में मदद करता है।
- मार्केट ऑर्डर ऐसी किसी चीज की गारंटी नहीं देता है। यह उपलब्ध सर्वोत्तम मूल्य पर क्रियान्वित होता है।
- लिमिट ऑर्डर में, मांग और आपूर्ति और कालक्रम के मुद्दों के कारण निवेशक खाली हाथ लौट सकता है।
- बाजार के क्रम में, निवेशकों के हाथ में कुछ न कुछ होगा।
आर्डर टाइप के बारे में और भी बहुत कुछ सीखने और अन्वेषण करें। इन विषयों को समझने के लिए, नीचे दिए गए लेखों पर क्लिक करें।
CNC और MIS ऑर्डर का अंतर |
CNC का क्या मतलब होता है |
MIS क्या होता है |
आफ्टर मार्केट ऑर्डर |
ब्रैकेट ऑर्डर क्या है |
कवर ऑर्डर का मतलब |
लिमिट ऑर्डर क्या है |
मार्केट ऑर्डर और लिमिट ऑर्डर में प्रमुख अंतर – त्वरित सारांश
मार्केट ऑर्डर और लिमिट ऑर्डर दोनों शेयर बाजार में लेन-देन के लिए महत्वपूर्ण उपकरण हैं, लेकिन इनके बीच कुछ प्रमुख अंतर हैं:
मार्केट ऑर्डर:
- तत्काल निष्पादन: मार्केट ऑर्डर तुरंत निष्पादित होते हैं, जिससे निवेशक शीघ्रता से अपनी ट्रेडिंग रणनीति लागू कर सकते हैं।
- मूल्य नियंत्रण की कमी: इनमें मूल्य पर नियंत्रण नहीं होता; निष्पादन मूल्य बाजार की वर्तमान स्थितियों पर निर्भर करता है।
लिमिट ऑर्डर:
- मूल्य पर नियंत्रण: लिमिट ऑर्डर निवेशकों को एक विशिष्ट मूल्य पर या उससे बेहतर मूल्य पर लेन-देन करने की अनुमति देते हैं।
- निष्पादन की अनिश्चितता: यदि बाजार मूल्य निर्दिष्ट लिमिट मूल्य तक नहीं पहुंचता, तो ऑर्डर निष्पादित नहीं होता।
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मार्केट ऑर्डर और लिमिट ऑर्डर के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्नों
मार्केट ऑर्डर एक ऐसा आदेश है जिसमें निवेशक वर्तमान बाजार मूल्य पर तुरंत शेयर खरीदने या बेचने का निर्देश देते हैं। इसके विपरीत, लिमिट ऑर्डर में निवेशक एक विशिष्ट मूल्य निर्धारित करते हैं; ऑर्डर तभी निष्पादित होता है जब बाजार मूल्य उस स्तर तक पहुँचता है।
लिमिट ऑर्डर हमेशा पूरा नहीं होता। यह केवल तभी निष्पादित होता है जब बाजार मूल्य आपके द्वारा निर्धारित लिमिट मूल्य तक पहुँचता है। यदि बाजार उस मूल्य तक नहीं पहुँचता, तो ऑर्डर निष्पादित नहीं होगा।
हाँ, मार्केट ऑर्डर में निष्पादन मूल्य अपेक्षित मूल्य से अधिक या कम हो सकता है। बाजार की अस्थिरता और तरलता की कमी के कारण, निष्पादन मूल्य में उतार-चढ़ाव संभव है।
मार्केट ऑर्डर तब सबसे अच्छा काम करता है जब तत्काल निष्पादन प्राथमिकता हो, और मूल्य में संभावित उतार-चढ़ाव को स्वीकार किया जा सकता है। यह उच्च तरलता वाले बाजारों में प्रभावी होते हैं।
लिमिट ऑर्डर का उपयोग तब करना चाहिए जब आप एक विशिष्ट मूल्य पर या उससे बेहतर मूल्य पर लेन-देन करना चाहते हैं, और निष्पादन में लचीलापन स्वीकार कर सकते हैं। यह मूल्य पर नियंत्रण प्रदान करता है।
हाँ, मार्केट और लिमिट ऑर्डर को एक साथ इस्तेमाल किया जा सकता है। उदाहरण के लिए, एक निवेशक मार्केट ऑर्डर देकर तुरंत कुछ शेयर खरीद सकता है, और साथ ही लिमिट ऑर्डर सेट कर सकता है ताकि एक निश्चित मूल्य पर अतिरिक्त शेयर खरीदे जा सकें।
ऑप्शंस ट्रेडिंग में, मार्केट ऑर्डर तत्काल निष्पादन के लिए उपयोगी होते हैं, जबकि लिमिट ऑर्डर आपको एक विशिष्ट मूल्य पर ऑप्शंस खरीदने या बेचने की अनुमति देते हैं। लिमिट ऑर्डर का उपयोग तब करें जब आप मूल्य पर नियंत्रण चाहते हैं, लेकिन निष्पादन में लचीलापन स्वीकार कर सकते हैं।
अधिकांश ब्रोकरेज प्लेटफॉर्म लिमिट ऑर्डर की अनुमति देते हैं, लेकिन कुछ प्लेटफॉर्मों पर लिमिट ऑर्डर के लिए विशेष नियम या शुल्क हो सकते हैं। इसलिए, अपने ब्रोकरेज प्लेटफॉर्म की नीतियों की समीक्षा करना महत्वपूर्ण है।
मार्केट ऑर्डर इंट्राडे ट्रेडिंग में तत्काल निष्पादन के लिए उपयुक्त होते हैं, जबकि लिमिट ऑर्डर लॉन्ग-टर्म ट्रेडिंग में मूल्य पर नियंत्रण प्रदान करते हैं। आपकी ट्रेडिंग रणनीति और उद्देश्यों के अनुसार, इनका उपयोग किया जाना चाहिए।
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