एंकर निवेशक वे प्रमुख संस्थागत निवेशक होते हैं जो किसी IPO से पहले ही बड़ी मात्रा में शेयर खरीद लेते हैं, जिससे आम निवेशकों में विश्वास और रुचि बढ़ती है। ये निवेशक सार्वजनिक निर्गम खुलने से एक दिन पहले शेयरों का आवंटन पाते हैं।
Table of Contents
एंकर निवेशक कौन हैं? – Who is Anchor Investor in Hindi
एंकर निवेशक वे योग्य संस्थागत खरीदार (QIB) होते हैं जिन्हें IPO खुलने से पहले कंपनी द्वारा शेयर आवंटित किए जाते हैं। ये निवेशक आमतौर पर म्यूचुअल फंड, बीमा कंपनियाँ, बैंक या विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (FPI) होते हैं।
इनका मुख्य उद्देश्य आईपीओ को विश्वसनीयता और स्थिरता प्रदान करना होता है। SEBI के अनुसार, एंकर निवेशकों को कम से कम ₹10 करोड़ का निवेश करना होता है और उनके शेयरों पर 30 दिनों का लॉक-इन पीरियड लागू होता है। यह व्यवस्था 2009 में लागू की गई थी।
एंकर निवेशक उदाहरण – Anchor Investor Example in Hindi
एंकर निवेशक का एक उदाहरण Nykaa के IPO में देखा गया था, जहाँ Fidelity, BlackRock, और Government of Singapore जैसे बड़े निवेशकों ने एंकर हिस्सेदारी ली थी। इन संस्थानों ने IPO खुलने से पहले ही बड़ी मात्रा में शेयर खरीदे, जिससे आम निवेशकों में विश्वास बढ़ा। ।
एक अन्य उदाहरण Zomato के IPO का है, जिसमें Tiger Global और New World Fund जैसे निवेशकों ने एंकर निवेश किया। इन निवेशकों ने सार्वजनिक निर्गम से एक दिन पहले ₹4,200 करोड़ से अधिक का निवेश किया, जिससे IPO को जबरदस्त प्रतिक्रिया मिली।
एंकर निवेशक की भूमिका – Role Of Anchor Investor in Hindi
एंकर निवेशक की भूमिका IPO को स्थिरता और विश्वसनीयता प्रदान करना होता है। ये निवेशक सार्वजनिक निर्गम से पहले बड़ी मात्रा में शेयर खरीदकर अन्य निवेशकों को सकारात्मक संकेत देते हैं कि कंपनी में संस्थागत विश्वास है। इससे खुदरा निवेशकों में भरोसा बढ़ता है।
इसके अतिरिक्त, एंकर निवेशकों की भागीदारी से आईपीओ को शुरुआती पूंजी सहायता मिलती है और बुक बिल्डिंग प्रक्रिया में मजबूत मूल्य खोज संभव होती है। चूंकि उनके शेयर 30 दिनों के लिए लॉक-इन रहते हैं, इससे बाजार में अचानक बिकवाली का खतरा भी कम हो जाता है।
एंकर निवेशक का उद्देश्य – Purpose of Anchor Investor in Hindi
एंकर निवेशक का मुख्य उद्देश्य IPO को शुरुआती स्थिरता प्रदान करना और अन्य निवेशकों में भरोसा उत्पन्न करना होता है। ये निवेशक पहले से निवेश करके यह संकेत देते हैं कि कंपनी की फंडामेंटल मजबूत है। इससे रिटेल और अन्य QIB निवेशकों का भरोसा बढ़ता है।
इसके अलावा, एंकर निवेशक मूल्य निर्धारण में भी मदद करते हैं क्योंकि उनके निवेश से शेयर की मांग और आपूर्ति का संतुलन तय होता है। उनके द्वारा किया गया निवेश IPO की सफलता की दिशा तय करता है और लिस्टिंग से पहले कंपनी की विश्वसनीयता को बढ़ाता है।
एंकर निवेशकों की प्रक्रिया – Anchor Investor Process in Hindi
एंकर निवेशक IPO प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, खासकर उसकी शुरुआत में स्थिरता और भरोसा लाने के लिए। इनकी पूरी प्रक्रिया सेबी द्वारा निर्धारित नियमों के अंतर्गत होती है, जिसमें निवेश की समयसीमा, मात्रा और प्रकटीकरण से जुड़े कई चरण शामिल होते हैं।
- योग्यता निर्धारण: केवल योग्य संस्थागत खरीदार (QIB), जैसे म्यूचुअल फंड, बीमा कंपनियाँ, बैंक आदि, एंकर निवेशक बन सकते हैं।
- IPO से पहले आवंटन: एंकर निवेशकों को IPO खुलने से एक दिन पहले शेयरों का आवंटन किया जाता है।
- न्यूनतम निवेश: एंकर निवेशकों को कम से कम ₹10 करोड़ का निवेश करना अनिवार्य होता है।
- लॉक-इन अवधि: एंकर निवेशकों को आवंटित शेयरों पर कम से कम 30 दिनों का लॉक-इन पीरियड होता है, जिससे बाजार में स्थिरता बनी रहती है।
- पब्लिक डिस्क्लोजर: एंकर निवेशकों की पूरी लिस्ट और उनके निवेश का विवरण IPO खुलने से पहले पब्लिक डोमेन में जारी किया जाता है।
एंकर निवेशक लॉक इन अवधि – Anchor Investor Lock In Period in Hindi
एंकर निवेशकों के लिए लॉक-इन अवधि का मतलब है कि उन्हें IPO में आवंटित शेयरों को एक निश्चित समय तक बेचने की अनुमति नहीं होती। SEBI के नियमों के अनुसार, एंकर निवेशकों को मिले शेयरों पर कम से कम 30 दिनों का लॉक-इन पीरियड लागू होता है।
यदि किसी एंकर निवेशक का हिस्सा 50% से अधिक म्यूचुअल फंड्स द्वारा लिया जाता है, तो उस स्थिति में केवल म्यूचुअल फंड के लिए 30 दिन का लॉक-इन लागू होता है, जबकि अन्य एंकर निवेशकों के लिए यह अवधि 90 दिनों की हो सकती है।
एंकर निवेशक सेबी दिशानिर्देश – Anchor Investor SEBI Guidelines in Hindi
- पात्रता: केवल योग्य संस्थागत खरीदार (QIB) जैसे म्यूचुअल फंड, बीमा कंपनियाँ, बैंक और FPI ही एंकर निवेशक बन सकते हैं।
- न्यूनतम निवेश राशि: एंकर निवेशकों को कम से कम ₹10 करोड़ का निवेश करना आवश्यक होता है।
- शेयर आवंटन समय: एंकर निवेशकों को IPO खुलने से एक कार्यदिवस पहले शेयर आवंटित किए जाते हैं।
- लॉक-इन अवधि: एंकर निवेशकों को आवंटित शेयरों पर न्यूनतम 30 दिनों की लॉक-इन अवधि का पालन करना होता है।
- प्रकटीकरण: सभी एंकर निवेशकों के नाम, आवंटित शेयरों की संख्या और मूल्य IPO खुलने से पहले स्टॉक एक्सचेंज की वेबसाइट पर सार्वजनिक किए जाते हैं।
- प्राइस बैंड पर निवेश: एंकर निवेशकों को बुक बिल्डिंग प्राइस बैंड के ऊपरी सिरे पर या उसके आसपास ही निवेश करना होता है, ताकि उचित मूल्य खोज संभव हो सके।
एंकर निवेशक की पात्रता – Eligibility for Anchor Investor in Hindi
एंकर निवेशक बनने के लिए निम्नलिखित पात्रता मानदंड होते हैं:
- योग्य संस्थागत खरीदार (QIB): केवल QIB श्रेणी के निवेशक ही एंकर निवेशक बन सकते हैं। इसमें म्यूचुअल फंड, बीमा कंपनियाँ, बैंक, पेंशन फंड्स (जिनकी न्यूनतम निधि ₹25 करोड़ हो), और विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (FPI) शामिल हैं।
- न्यूनतम निवेश राशि: एंकर निवेशकों को IPO में कम से कम ₹10 करोड़ का निवेश करना आवश्यक होता है।
- बुक बिल्डिंग प्रक्रिया: एंकर निवेशक केवल बुक बिल्डिंग प्रक्रिया के तहत मुख्य बोर्ड पर लाए गए सार्वजनिक निर्गमों में ही निवेश कर सकते हैं।
- शेयर आवंटन समय: एंकर निवेशकों को IPO खुलने से एक कार्यदिवस पहले शेयर आवंटित किए जाते हैं।
- लॉक-इन अवधि: एंकर निवेशकों को आवंटित शेयरों पर न्यूनतम 30 दिनों की लॉक-इन अवधि का पालन करना होता है।
भारत में एंकर निवेशकों की सूची – List Of Anchor Investors In India in Hindi
भारत में एंकर निवेशक वे प्रमुख संस्थागत निवेशक होते हैं जो IPO खुलने से पहले कंपनी के शेयरों में निवेश करते हैं, जिससे IPO को स्थिरता और विश्वसनीयता मिलती है। नीचे 2025 में भारत के कुछ प्रमुख एंकर निवेशकों की सूची दी गई है:
एंकर निवेशक का नाम | निवेशित IPOs की संख्या | कुल निवेश (₹ करोड़) |
Rajasthan Global Securities Pvt. Ltd. | 87 | 208.16 |
Saint Capital Fund | 70 | 157.33 |
Nav Capital VCC | 63 | 165.85 |
Finavenue Growth Fund | 52 | 80.39 |
VIKASA Capital Inc. | 52 | 121.56 |
Meru Investment Fund PCC | 39 | 106.61 |
Persistent Growth Fund | 38 | 103.23 |
Moneywise Financial Services Pvt. Ltd. | 32 | 59.54 |
LRSD Securities Pvt. Ltd. | 30 | 68.86 |
Negen Undiscovered Value Fund | 26 | 65.00 |
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एंकर निवेशक कौन हैं? – त्वरित सारांश
- एंकर निवेशक ऐसे योग्य संस्थागत निवेशक होते हैं जिन्हें IPO खुलने से पहले बड़े पैमाने पर शेयर आवंटित किए जाते हैं, जिससे बाज़ार में भरोसा और स्थिरता आती है।
- Zomato और Nykaa जैसे बड़े IPO में Fidelity, Tiger Global और BlackRock जैसे संस्थानों ने एंकर निवेशक के रूप में निवेश कर खुदरा निवेशकों को आकर्षित किया।
- IPO में एंकर निवेशक की भूमिका विश्वसनीयता बढ़ाना, मूल्य निर्धारण को स्थिर करना और बुक बिल्डिंग प्रक्रिया को समर्थन देना होता है।
- एंकर निवेशकों का उद्देश्य IPO को शुरुआती पूंजी देना, मूल्य खोज में सहायता करना और निवेशकों में सकारात्मक संकेत पैदा करना होता है।
- एंकर निवेशक IPO खुलने से पहले दिन शेयर खरीदते हैं, उन्हें कम से कम ₹10 करोड़ निवेश करना होता है और शेयर 30 दिनों तक लॉक-इन रहते हैं।
- एंकर निवेशकों को मिले शेयरों को 30 दिनों तक नहीं बेचा जा सकता, जिससे बाजार में शुरुआती स्थिरता और भारी बिकवाली से सुरक्षा मिलती है।
- SEBI के अनुसार, केवल QIB ही एंकर निवेशक बन सकते हैं। निवेश न्यूनतम ₹10 करोड़ होना चाहिए और निवेश विवरण सार्वजनिक रूप से प्रकशित होता है।
- म्यूचुअल फंड, बीमा कंपनियाँ, पेंशन फंड और विदेशी संस्थागत निवेशक जैसे QIB पात्र एंकर निवेशक होते हैं, जिन्हें बुक बिल्डिंग IPO में भाग लेने की अनुमति है।
- भारत में प्रमुख एंकर निवेशकों में ICICI Prudential, HDFC MF, SBI MF, और Rajasthan Global जैसे निवेशक शामिल हैं, जिनका IPO में निवेश ₹200 करोड़ तक होता है।
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एंकर निवेशक का अर्थ – अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
एंकर निवेशक वे संस्थागत निवेशक होते हैं जिन्हें IPO खुलने से एक दिन पहले ही कंपनी द्वारा शेयर आवंटित किए जाते हैं। ये निवेशक आमतौर पर म्यूचुअल फंड, बीमा कंपनियाँ, बैंक या विदेशी संस्थान होते हैं जो बाज़ार में विश्वास और स्थिरता लाते हैं।
एंकर निवेशक बनने से उन्हें पहले से शेयर खरीदने का अवसर मिलता है, जिससे उन्हें बेहतर मूल्य निर्धारण और उच्च मांग वाले IPO में प्राथमिकता मिलती है। साथ ही, उनके निवेश पर शेयर लिस्टिंग से पहले ही संभावित लाभ की संभावना होती है।
एंकर निवेशक सार्वजनिक पेशकश (IPO) से पहले निवेश करते हैं और आमतौर पर संस्थागत होते हैं, जबकि एंजेल निवेशक निजी कंपनियों में शुरुआती चरण में निवेश करते हैं और अधिकतर व्यक्ति होते हैं। एंकर निवेश IPO का हिस्सा हैं, एंजेल निवेश निजी पूंजी का।
SEBI ने एंकर निवेशकों की अधिकतम संख्या निर्धारित नहीं की है, लेकिन उनके कुल आवंटन का आकार निर्भर करता है कि कितनी हिस्सेदारी एंकर श्रेणी के लिए आरक्षित की गई है। आमतौर पर, 60% हिस्सा म्यूचुअल फंड्स को दिया जाना चाहिए।
केवल योग्य संस्थागत खरीदार (QIB) जैसे म्यूचुअल फंड, बीमा कंपनियाँ, बैंक, और एफपीआई एंकर निवेशक बन सकते हैं। उन्हें कम से कम ₹10 करोड़ का निवेश करना होता है और SEBI द्वारा निर्धारित दिशानिर्देशों का पालन करना होता है।
एंकर निवेशक को आवंटित किए गए शेयरों को कम से कम 30 दिनों की लॉक-इन अवधि के लिए रखना होता है। यह समयावधि SEBI द्वारा नियत की गई है ताकि शेयर बाजार में शुरुआती बिकवाली से स्थिरता बनी रहे।
कंपनियाँ और उनके बुक रनिंग लीड मैनेजर्स (BRLM) एंकर निवेशकों का चयन उनकी प्रतिष्ठा, निवेश क्षमता और दीर्घकालिक सहयोग के आधार पर करते हैं। निवेशकों को प्रस्ताव भेजा जाता है और वे बैंड के ऊपरी स्तर पर निवेश करते हैं।
हाँ, एंकर निवेशक भी जोखिम उठाते हैं क्योंकि उनका निवेश IPO मूल्य निर्धारण पर आधारित होता है और यदि लिस्टिंग के बाद शेयर मूल्य गिरता है तो उन्हें नुकसान हो सकता है। हालांकि, उनकी विश्लेषण क्षमता उन्हें बेहतर निर्णय लेने में मदद करती है।
बिलकुल, जब प्रतिष्ठित संस्थागत निवेशक किसी IPO में निवेश करते हैं, तो यह खुदरा निवेशकों के लिए एक सकारात्मक संकेत होता है कि कंपनी पर भरोसा किया जा सकता है। इससे IPO की मांग और सब्सक्रिप्शन रेट बढ़ जाती है।
हाँ, एंकर निवेशकों के लिए IPO खुलने से एक दिन पहले विशेष आवंटन की प्रक्रिया होती है। वे बुक रनिंग लीड मैनेजर्स के माध्यम से प्रस्तावित शेयरों के लिए आवेदन करते हैं और उनका आवंटन IPO खुलने से पहले ही हो जाता है।
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