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लिक्विडिटी क्या है? – Liquidity Meaning In Hindi

शेयर बाजार में लिक्विडिटी से तात्पर्य किसी स्टॉक को बिना उसकी कीमत में महत्वपूर्ण बदलाव किए, कितनी जल्दी और आसानी से खरीदा या बेचा जा सकता है, से है। उच्च लिक्विडिटी वाले स्टॉक्स में सक्रिय रूप से कई खरीदार और विक्रेता होते हैं, जिससे स्थिर कीमतों पर लेनदेन संभव होता है।

Table of Contents

शेयर बाजार में लिक्विडिटी का अर्थ – Liquidity In the Stock Market In Hindi

शेयर बाजार में लिक्विडिटी से तात्पर्य किसी स्टॉक या वित्तीय संपत्ति को बिना उसकी कीमत में महत्वपूर्ण बदलाव किए, कितनी जल्दी और आसानी से नकदी में परिवर्तित किया जा सकता है, से है। उच्च लिक्विडिटी वाले स्टॉक्स में सक्रिय रूप से कई खरीदार और विक्रेता होते हैं, जिससे स्थिर कीमतों पर लेनदेन संभव होता है।

लिक्विडिटी का महत्व इसलिए है क्योंकि यह निवेशकों को उनकी संपत्तियों को त्वरित रूप से नकदी में बदलने की सुविधा प्रदान करती है, जिससे वित्तीय लचीलापन बढ़ता है। उच्च लिक्विडिटी वाले बाजारों में, निवेशक आसानी से अपने निवेश को खरीद या बेच सकते हैं, जबकि कम लिक्विडिटी वाले बाजारों में यह प्रक्रिया कठिन हो सकती है, जिससे निवेशकों को नुकसान का सामना करना पड़ सकता है।

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लिक्विडिटी उदाहरण – Liquidity Example In Hindi

शेयर बाजार में लिक्विडिटी का एक उदाहरण ब्लू-चिप स्टॉक्स हैं, जैसे रिलायंस इंडस्ट्रीज, जो उच्च लिक्विडिटी प्रदर्शित करते हैं। इन स्टॉक्स में प्रतिदिन लाखों शेयर स्थिर कीमतों पर ट्रेड होते हैं, जिससे निवेशक बिना मूल्य में बड़े बदलाव के आसानी से खरीद-बिक्री कर सकते हैं।

इसके विपरीत, स्मॉल-कैप स्टॉक्स में लिक्विडिटी कम हो सकती है। इनमें ट्रेडिंग वॉल्यूम कम होता है, जिससे निवेशकों को उचित मूल्य पर शेयर खरीदने या बेचने में कठिनाई हो सकती है। उदाहरण के लिए, किसी छोटे कंपनी के शेयरों की मांग कम होने के कारण, उन्हें बेचने में समय लग सकता है या कीमत में अधिक उतार-चढ़ाव हो सकता है।

लिक्विड स्टॉक की पहचान कैसे करें?

शेयर बाजार में लिक्विड स्टॉक्स की पहचान करने के लिए निम्नलिखित कारकों पर ध्यान दें:

  1. उच्च ट्रेडिंग वॉल्यूम: ऐसे स्टॉक्स चुनें जिनका दैनिक ट्रेडिंग वॉल्यूम अधिक हो, जो इंगित करता है कि वे आसानी से खरीदे या बेचे जा सकते हैं।
  2. संकीर्ण बिड-आस्क स्प्रेड: बिड (खरीद मूल्य) और आस्क (बिक्री मूल्य) के बीच का अंतर कम होना चाहिए, जो बेहतर लिक्विडिटी का संकेत देता है।
  3. प्रमुख सूचकांकों में शामिल: ऐसे स्टॉक्स जो प्रमुख सूचकांकों (जैसे निफ्टी 50, सेंसेक्स) का हिस्सा हैं, आमतौर पर अधिक लिक्विड होते हैं।
     
  4. संस्थागत निवेशकों की भागीदारी: जिन स्टॉक्स में म्यूचुअल फंड्स, पेंशन फंड्स आदि का निवेश होता है, वे अधिक लिक्विड माने जाते हैं।

लिक्विडिटी का महत्व – Importance Of Liquidity In Hindi

शेयर बाजार में लिक्विडिटी का महत्व निम्नलिखित है:

  • तेज़ लेन-देन: उच्च लिक्विडिटी वाले स्टॉक्स में निवेशक आसानी से और शीघ्रता से खरीद-बिक्री कर सकते हैं, जिससे समय पर निर्णय लेना संभव होता है।
  • कीमत स्थिरता: लिक्विड मार्केट में स्टॉक्स की कीमतों में अधिक उतार-चढ़ाव नहीं होता, जिससे निवेशक अधिक सुरक्षित महसूस करते हैं।
  • सही मूल्य पर ट्रेडिंग: उच्च लिक्विडिटी के कारण स्टॉक्स को उनकी उचित बाजार कीमत पर खरीदने या बेचने का अवसर मिलता है।
  • निवेशकों का विश्वास: लिक्विडिटी निवेशकों के विश्वास को बढ़ाती है, क्योंकि वे जानते हैं कि वे आवश्यकतानुसार अपने निवेश को नकदी में बदल सकते हैं।

शेयर बाजार में लिक्विडिटी के प्रकार – Types Of Liquidity In Stock Market

शेयर बाजार में लिक्विडिटी के दो प्रमुख प्रकार होते हैं:

  1. बाजार लिक्विडिटी (Market Liquidity): यह दर्शाता है कि किसी संपत्ति को बाजार में बिना उसकी कीमत में बड़े बदलाव के कितनी आसानी से खरीदा या बेचा जा सकता है। उच्च बाजार लिक्विडिटी वाले स्टॉक्स में अधिक ट्रेडिंग वॉल्यूम होता है, जिससे निवेशक आसानी से लेनदेन कर सकते हैं।
  2. लेखा लिक्विडिटी (Accounting Liquidity): यह किसी कंपनी की अपनी अल्पकालिक वित्तीय देनदारियों को समय पर चुकाने की क्षमता को दर्शाता है। इसमें नकदी, बैंक बैलेंस, और शीघ्रता से नकदी में परिवर्तनीय संपत्तियाँ शामिल होती हैं। 

किसी स्टॉक के लिए अच्छी लिक्विडिटी क्या है? – What is Good Liquidity for a Stock in Hindi

किसी स्टॉक की अच्छी लिक्विडिटी का अर्थ है कि उसे बाजार में आसानी से और शीघ्रता से खरीदा या बेचा जा सकता है, बिना उसकी कीमत में महत्वपूर्ण बदलाव के। ऐसे स्टॉक्स में निम्नलिखित विशेषताएँ होती हैं:

  • उच्च ट्रेडिंग वॉल्यूम: दैनिक आधार पर बड़ी मात्रा में शेयरों का लेन-देन होना, जो दर्शाता है कि स्टॉक में सक्रिय खरीदार और विक्रेता मौजूद हैं।
  • संकीर्ण बिड-आस्क स्प्रेड: खरीद (बिड) और बिक्री (आस्क) कीमतों के बीच का अंतर कम होना, जो इंगित करता है कि स्टॉक की मांग और आपूर्ति संतुलित है।
  • प्रमुख सूचकांकों में शामिल: ऐसे स्टॉक्स जो निफ्टी 50 या सेंसेक्स जैसे प्रमुख सूचकांकों का हिस्सा हैं, आमतौर पर अधिक लिक्विड होते हैं।

लिक्विडिटी और वॉल्यूम में अंतर – Difference Between Liquidity and Volume in Hindi

शेयर बाजार में लिक्विडिटी और वॉल्यूम दोनों महत्वपूर्ण अवधारणाएँ हैं, लेकिन इनके बीच स्पष्ट अंतर है। नीचे दी गई तालिका में इन दोनों के बीच मुख्य अंतर प्रस्तुत किए गए हैं:

पहलूलिक्विडिटीवॉल्यूम
परिभाषाकिसी स्टॉक को बिना उसकी कीमत में महत्वपूर्ण बदलाव किए, कितनी आसानी से और शीघ्रता से खरीदा या बेचा जा सकता है। एक विशिष्ट समय अवधि में खरीदे और बेचे गए शेयरों की कुल संख्या।
मापदंडउच्च लिक्विडिटी वाले स्टॉक्स में संकीर्ण बिड-आस्क स्प्रेड, उच्च ट्रेडिंग वॉल्यूम, और कम मूल्य अस्थिरता होती है। वॉल्यूम को केवल ट्रेड किए गए शेयरों की संख्या के रूप में मापा जाता है, जो स्टॉक की ट्रेडिंग गतिविधि को दर्शाता है।
महत्वलिक्विडिटी निवेशकों को स्टॉक को जल्दी और उचित मूल्य पर खरीदने या बेचने की अनुमति देती है, जिससे बाजार में प्रवेश और निकास आसान होता है। वॉल्यूम स्टॉक की ट्रेडिंग गतिविधि और निवेशकों की रुचि को दर्शाता है; उच्च वॉल्यूम वाले स्टॉक्स में ट्रेडिंग के अधिक अवसर होते हैं।
*प्रभकम लिक्विडिटी वाले स्टॉक्स में खरीद या बिक्री के दौरान कीमतों में अधिक उतार-चढ़ाव हो सकता है, जिससे निवेशको नुकसान का जोखिम बढ़ता है। वॉल्यूम में वृद्धि स्टॉक की कीमतों में संभावित बदलाव का संकेत दे सकती है, लेकिन यह लिक्विडिटी की गारंटी नहीं देती। 
उदाहरणब्लू-चिप स्टॉक्स जैसे रिलायंस इंडस्ट्रीज उच्च लिक्विडिटी प्रदर्शित करते हैं, जहां निवेशक बड़ी मात्रा में शेयरों का लेन-देन कर सकते हैं। किसी स्टॉक का वॉल्यूम बढ़ना यह संकेत दे सकता है कि उस स्टॉक में निवेशकों की रुचि बढ़ रही है, चाहे वह लिक्विड हो या नहीं। 

लिक्विडिटी में स्लिपेज का प्रभाव – Impact of Slippage on Liquidity in Hindi

शेयर बाजार में स्लिपेज उस स्थिति को दर्शाता है जब किसी ऑर्डर के निष्पादन की कीमत अपेक्षित कीमत से भिन्न होती है। यह आमतौर पर तब होता है जब बाजार में अस्थिरता अधिक होती है या लिक्विडिटी कम होती है।

लिक्विडिटी पर स्लिपेज का प्रभाव:

  • उच्च लिक्विडिटी: जब बाजार में लिक्विडिटी अधिक होती है, तो स्टॉक्स की खरीद-बिक्री आसानी से और बिना कीमत में बड़े बदलाव के संभव होती है, जिससे स्लिपेज की संभावना कम हो जाती है।
  • कम लिक्विडिटी: कम लिक्विडिटी वाले बाजारों में, बड़े ऑर्डर्स के लिए पर्याप्त खरीदार या विक्रेता नहीं मिल पाते, जिसके परिणामस्वरूप ऑर्डर अपेक्षित कीमत से अलग कीमत पर निष्पादित होते हैं, यानी स्लिपेज बढ़ जाती है।
     
  • बिड-आस्क स्प्रेड: लिक्विडिटी की कमी के कारण बिड (खरीद) और आस्क (बिक्री) कीमतों के बीच का अंतर बढ़ जाता है, जिससे स्लिपेज की संभावना बढ़ती है। 

भारत में 2025 के सर्वश्रेष्ठ लिक्विड स्टॉक – Best Liquid Stocks in India in 2025 in Hindi

25 में भारत के शेयर बाजार में उच्च लिक्विडिटी वाले प्रमुख स्टॉक्स की सूची निम्नलिखित है:

कनी का नामक्षेत्रबाजार पूंजीकरण (₹ करोड़)औसत दैनिक वॉल्यूम (शेयर)मूल्य (₹)
रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेडऊर्जा और पेट्रोकेमिकल्स17,50,00050,00,0002,100
टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेजसूचना प्रौद्योगिकी12,00,00030,00,0003,200
एचडीएफसी बैंक लिमिटेडबैंकिंग9,00,00025,00,0001,500
इंफोसिस लिमिटेडसूचना प्रौद्योगिकी6,50,00020,00,0001,800
आईसीआईसीआई बैंक लिमिटेडबैंकिंग6,00,00022,00,000900
हिंदुस्तान यूनिलीवर लिमिटेडउपभोक्ता वस्तुएं5,50,00018,00,0002,500
स्टेट बैंक ऑफ इंडियाबैंकिंग5,00,00028,00,000600
कोटक महिंद्रा बैंक लिमिटेडबैंकिंग4,50,00015,00,0001,700
बजाज फाइनेंस लिमिटेडवित्तीय सेवाएं4,00,00012,00,0006,000
भारती एयरटेल लिमिटेडदूरसंचार3,50,00020,00,000700

विषय को समझने के लिए और अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए, नीचे दिए गए संबंधित स्टॉक मार्केट लेखों को अवश्य पढ़ें।

पिवट पॉइंट क्या है?
शेयर बाजार में LTP का क्या मतलब है?
NPA क्या है?

शेयर बाजार में लिक्विडिटी के बारे में संक्षिप्त सारांश

  • शेयर बाजार में लिक्विडिटी का मतलब किसी संपत्ति को आसानी से खरीदा या बेचा जा सकने की क्षमता है, बिना इसकी कीमत पर अधिक प्रभाव डाले। उदाहरण के लिए, रिलायंस इंडस्ट्रीज जैसे स्टॉक्स अत्यधिक लिक्विड होते हैं, क्योंकि इन्हें बड़ी मात्रा में खरीदा-बेचा जा सकता है।
  •  उच्च ट्रेडिंग वॉल्यूम, कम बिड-आस्क स्प्रेड और निरंतर मूल्य स्थिरता किसी स्टॉक के लिक्विड होने के प्रमुख संकेतक हैं। लिक्विडिटी बाजार की स्थिरता बनाए रखती है, निवेशकों को तेजी से एंट्री और एग्जिट करने में मदद करती है और स्लिपेज को कम करती है।
  • इसमें मार्केट लिक्विडिटी, एसेट लिक्विडिटी और फंडिंग लिक्विडिटी शामिल हैं, जो बाजार की कार्यक्षमता और मूल्य निर्धारण को प्रभावित करते हैं। उच्च ट्रेडिंग वॉल्यूम, कम बिड-आस्क स्प्रेड और स्थिर कीमत वाले स्टॉक्स को अच्छी लिक्विडिटी वाले स्टॉक्स माना जाता है।
  •  लिक्विडिटी किसी संपत्ति को तेजी से बेचने की क्षमता दर्शाती है, जबकि वॉल्यूम ट्रेड की गई कुल मात्रा को दर्शाता है। कम लिक्विडिटी वाले बाजारों में स्लिपेज अधिक होता है, जिससे ऑर्डर अपेक्षित कीमत से अलग मूल्य पर निष्पादित हो सकते हैं।
  • रिलायंस, टाटा, एचडीएफसी बैंक, इंफोसिस जैसे शीर्ष कंपनियों के स्टॉक्स अत्यधिक लिक्विड हैं, जो निवेशकों को सुगमता से लेन-देन करने की सुविधा देते हैं।
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लिक्विडिटी के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

1. तरलता क्या है?

तरलता से तात्पर्य किसी संपत्ति को बिना किसी बड़ी कीमत में बदलाव के जल्दी से खरीदने या बेचने की क्षमता से है। अधिक तरलता वाले बाजार में कीमतों पर कम प्रभाव पड़ता है।

2. ट्रेडिंग में तरलता का उदाहरण क्या है?

ट्रेडिंग में तरलता का उदाहरण किसी ऐसे स्टॉक से हो सकता है जिसका उच्च वॉल्यूम है, जैसे रिलायंस इंडस्ट्रीज, जिससे खरीदी और बिक्री आसानी से हो सकती है बिना कीमत में उतार-चढ़ाव के।

3. क्या उच्च तरलता अच्छी होती है?

हां, उच्च तरलता आमतौर पर अच्छी होती है क्योंकि यह निवेशकों को बाजार में आसानी से प्रवेश और निकासी की अनुमति देती है, जिससे जोखिम कम होता है और स्लिपेज भी घटता है।

4. ट्रेडिंग में तरलता की पहचान कैसे करें?

ट्रेडिंग में तरलता की पहचान स्टॉक के वॉल्यूम, बिड-आस्क स्प्रेड, और मूल्य स्थिरता द्वारा की जाती है। उच्च वॉल्यूम और कम स्प्रेड वाले स्टॉक्स अधिक लिक्विड होते हैं।

5. लेखा तरलता और बाजार तरलता में क्या अंतर है?

लेखा तरलता किसी कंपनी की वित्तीय स्थिति को दर्शाती है, जबकि बाजार तरलता शेयरों या अन्य संपत्तियों को खरीदने-बेचने की सुविधा को व्यक्त करती है। दोनों का महत्व अलग-अलग होता है।

6. अच्छा तरलता अनुपात क्या है?

अच्छा तरलता अनुपात आमतौर पर 1.5 से 2 के बीच माना जाता है। इसका मतलब है कि कंपनी के पास अपने दायित्वों को पूरा करने के लिए पर्याप्त लिक्विड एसेट्स हैं।

7. भारत में सबसे तरल स्टॉक्स कौन से हैं?

भारत में रिलायंस इंडस्ट्रीज, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज, एचडीएफसी बैंक, और इंफोसिस जैसे स्टॉक्स अत्यधिक तरल हैं, क्योंकि इनका व्यापार वॉल्यूम और मांग दोनों उच्च होते हैं।

8. क्या तरलता का स्टॉक के मूल्य पर प्रभाव पड़ता है?

हां, तरलता का स्टॉक के मूल्य पर प्रभाव पड़ता है। अधिक लिक्विड स्टॉक्स में मूल्य स्थिर रहता है, जबकि कम लिक्विड स्टॉक्स में मूल्य में उतार-चढ़ाव अधिक होता है।

9. कम तरलता वाले स्टॉक्स में निवेश कितना जोखिम भरा है?

कम तरलता वाले स्टॉक्स में निवेश जोखिम भरा हो सकता है क्योंकि इनके लिए पर्याप्त खरीदार या विक्रेता नहीं होते, जिससे कीमत में बड़े बदलाव और स्लिपेज की संभावना रहती है।

10. क्या लिक्विडिटी सिर्फ ट्रेडिंग से जुड़ी है?

नहीं, लिक्विडिटी केवल ट्रेडिंग से जुड़ी नहीं होती है। यह किसी भी एसेट की खरीद और बिक्री की क्षमता को दर्शाती है, चाहे वह ट्रेडिंग के जरिए हो या किसी अन्य तरीके से।

डिस्क्लेमर: उपरोक्त लेख शैक्षिक उद्देश्यों के लिए लिखा गया है, और लेख में उल्लिखित कंपनियों का डेटा समय के साथ बदल सकता है। उद्धृत प्रतिभूतियाँ अनुकरणीय हैं और अनुशंसात्मक नहीं हैं।

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