1 अप्रैल 2023 से, भारत में डेट म्यूचुअल फंड्स का कराधान बदल गया है। अब, यदि इकाइयों को 40 महीने से अधिक समय तक रखा जाता है, तो लाभ को 20% की दर से इंडेक्सेशन लाभ के साथ लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन (LTCG) के रूप में कराधान किया जाता है। 40 महीने से कम अवधि के लिए रखी गई इकाइयों पर होने वाले लाभ को निवेशक की आयकर स्लैब के अनुसार शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन (STCG) माना जाता है।
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डेट म्यूचुअल फंड क्या है? – What is a debt mutual fund in Hindi
डेट म्यूचुअल फंड्स, जिन्हें बॉन्ड फंड्स या इनकम फंड्स भी कहा जाता है, ऐसे म्यूचुअल फंड्स हैं जो निश्चित आय वाले उपकरणों में निवेश करते हैं। इनमें सरकारी बॉन्ड, कॉर्पोरेट बॉन्ड, ट्रेजरी बिल, वाणिज्यिक पत्र और अन्य मनी मार्केट इंस्ट्रूमेंट्स शामिल हैं। इनका मुख्य उद्देश्य निवेशकों को नियमित आय प्रदान करना और पूंजी की सुरक्षा सुनिश्चित करना होता है।
इन फंड्स में निवेश अपेक्षाकृत कम जोखिम वाला माना जाता है, क्योंकि ये फिक्स्ड इनकम सिक्योरिटीज़ में निवेश करते हैं जिनकी मेच्योरिटी अवधि और ब्याज दर पहले से निर्धारित होती है। डेट फंड्स उन निवेशकों के लिए उपयुक्त होते हैं जो स्थिर रिटर्न चाहते हैं और जोखिम से बचना चाहते हैं। इसके अलावा, डेट फंड्स में लिक्विडिटी भी अधिक होती है, जिससे निवेशक आवश्यकता पड़ने पर आसानी से अपने निवेश को नकदी में बदल सकते हैं।
डेट म्यूचुअल फंड्स पर कैसे कर लगता है? – How Are Debt Mutual Funds Taxed in Hindi
डेट म्यूचुअल फंड्स में निवेश से होने वाले लाभ पर कराधान निवेश की अवधि पर निर्भर करता है। यदि निवेशक ने फंड यूनिट्स को 40 महीने या उससे अधिक समय तक रखा है, तो इस अवधि के बाद होने वाले लाभ को लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन (LTCG) माना जाता है, और इस पर इंडेक्सेशन लाभ के साथ 20% की दर से कर लगता है। वहीं, यदि यूनिट्स को 40 महीने से कम समय के लिए रखा गया है, तो होने वाले लाभ को शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन (STCG) माना जाता है, और इस पर निवेशक की आयकर स्लैब दर के अनुसार कर लगाया जाता है।
डेट म्यूचुअल फंड से मिलने वाले रिटर्न के प्रकार – Types of Returns from Debt Mutual Funds in Hindi
डेट म्यूचुअल फंड्स से निवेशकों को मुख्यतः दो प्रकार के रिटर्न प्राप्त होते हैं:
- ब्याज आय (इंटरस्ट इनकम): डेट फंड्स सरकारी बॉन्ड, कॉर्पोरेट बॉन्ड, ट्रेजरी बिल्स आदि में निवेश करते हैं, जो नियमित ब्याज प्रदान करते हैं। यह ब्याज आय निवेशकों के लिए स्थिर रिटर्न का स्रोत होती है।
- पूंजीगत प्रशंसा (कैपिटल एप्रिसिएशन): ब्याज दरों में परिवर्तन के कारण डेट इंस्ट्रूमेंट्स की बाजार कीमतों में उतार-चढ़ाव होता है। यदि ब्याज दरें घटती हैं, तो मौजूदा बॉन्ड्स की कीमत बढ़ती है, जिससे फंड की नेट एसेट वैल्यू (NAV) में वृद्धि होती है। यह मूल्य वृद्धि निवेशकों के लिए पूंजीगत लाभ का कारण बनती है।
डेट म्यूचुअल फंड्स का कराधान – 1 अप्रैल 2023 से पहले
1 अप्रैल 2023 से पहले, डेट म्यूचुअल फंड्स पर कराधान निवेश की अवधि पर आधारित था। यदि निवेशक ने यूनिट्स को 36 महीने (3 वर्ष) से कम समय के लिए रखा, तो होने वाले लाभ को शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन (STCG) माना जाता था, और यह निवेशक की कुल आय में जोड़कर, उनकी आयकर स्लैब दर के अनुसार कर योग्य होता था। वहीं, यदि यूनिट्स को 36 महीने या उससे अधिक समय तक रखा गया, तो होने वाले लाभ को लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन (LTCG) माना जाता था, जिस पर इंडेक्सेशन लाभ के साथ 20% की दर से कर लगाया जाता था।
डेट म्यूचुअल फंड्स का कराधान – 1 अप्रैल 2023 के बाद
1 अप्रैल 2023 से, भारत में डेट म्यूचुअल फंड्स के कराधान नियमों में महत्वपूर्ण परिवर्तन लागू हुए हैं। अब, यदि किसी म्यूचुअल फंड का 35% से कम निवेश इक्विटी शेयरों में है, तो ऐसे फंड्स से होने वाले पूंजीगत लाभ, चाहे होल्डिंग अवधि कुछ भी हो, निवेशक की आय में जोड़े जाएंगे और उनकी आयकर स्लैब दर के अनुसार कर योग्य होंगे।
इस परिवर्तन से पहले, 36 महीने से अधिक की होल्डिंग अवधि वाले डेट फंड्स पर इंडेक्सेशन लाभ के साथ 20% की दर से लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन टैक्स लगता था। हालांकि, नए नियमों के तहत, इंडेक्सेशन लाभ अब उपलब्ध नहीं है, जिससे डेट म्यूचुअल फंड्स पर कराधान फिक्स्ड डिपॉजिट्स के समान हो गया है। यह परिवर्तन निवेशकों के लिए टैक्स प्लानिंग में महत्वपूर्ण प्रभाव डालता है, विशेष रूप से उन लोगों के लिए जो डेट फंड्स में लॉन्ग-टर्म निवेश करते हैं।
डेट म्यूचुअल फंड पर कर का लाभ – Tax Benefit On Debt Mutual Fund in Hindi
1 अप्रैल 2023 से पहले, डेट म्यूचुअल फंड्स में 36 महीने या उससे अधिक की अवधि के निवेश पर इंडेक्सेशन लाभ के साथ 20% की दर से लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन टैक्स लगता था, जिससे निवेशकों को महंगाई के प्रभाव को समायोजित करने में सहायता मिलती थी।
हालांकि, 1 अप्रैल 2023 के बाद, यदि म्यूचुअल फंड की 35% से कम संपत्ति इक्विटी में निवेशित है, तो ऐसे फंड्स से होने वाले पूंजीगत लाभ, चाहे होल्डिंग अवधि कुछ भी हो, निवेशक की आय में जोड़े जाएंगे और उनकी आयकर स्लैब दर के अनुसार कर योग्य होंगे।
फिक्स्ड डिपॉजिट और म्यूचुअल फंड कराधान की तुलना – Comparison Of Fixed Deposits And Mutual Funds Taxation in Hindi
फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) और म्यूचुअल फंड्स के कराधान की तुलना निम्नलिखित सारणी में प्रस्तुत की गई है:
पैरामीटर | फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) | म्यूचुअल फंड्स |
ब्याज/लाभ पर कराधान | अर्जित ब्याज निवेशक की आय में जोड़ा जाता है और उनकी आयकर स्लैब दर के अनुसार कर योग्य होता है। | निवेश की अवधि और फंड के प्रकार के आधार पर कराधान होता है। इक्विटी फंड्स और डेट फंड्स के लिए कराधान नियम अलग-अलग होते हैं। |
टीडीएस (TDS) | यदि ब्याज आय एक वित्तीय वर्ष में ₹40,000 (वरिष्ठ नागरिकों के लिए ₹50,000) से अधिक है, तो 10% की दर से टीडीएस काटा जाता है। | म्यूचुअल फंड्स पर टीडीएस लागू नहीं होता है। |
लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन (LTCG) टैक्स | लागू नहीं होता, क्योंकि FD पर अर्जित ब्याज को नियमित आय माना जाता है। | इक्विटी फंड्स में एक वर्ष से अधिक की होल्डिंग पर ₹1 लाख से अधिक के लाभ पर 10% की दर से LTCG टैक्स लगता है। डेट फंड्स में तीन वर्ष से अधिक की होल्डिंग पर इंडेक्सेशन लाभ के साथ 20% की दर से LTCG टैक्स लगता है। |
शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन (STCG) टैक्स | लागू नहीं होता, क्योंकि FD पर अर्जित ब्याज को नियमित आय माना जाता है। | इक्विटी फंड्स में एक वर्ष से कम की होल्डिंग पर लाभ पर 15% की दर से STCG टैक्स लगता है। डेट फंड्स में तीन वर्ष से कम की होल्डिंग पर लाभ निवेशक की आयकर स्लैब दर के अनुसार कर योग्य होता है। |
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डेट म्यूचुअल फंड का कराधान – त्वरित सारांश
- डेट म्यूचुअल फंड वे फंड्स होते हैं जो सरकारी और कॉर्पोरेट बॉन्ड्स जैसे निश्चित आय वाले साधनों में निवेश कर स्थिर रिटर्न प्रदान करते हैं।
- डेट फंड्स का टैक्स निवेश की अवधि पर निर्भर करता है—शॉर्ट-टर्म लाभ पर आयकर स्लैब दर और लॉन्ग-टर्म पर 20% इंडेक्सेशन सहित लगता है।
- डेट फंड्स से मुख्यतः दो प्रकार के रिटर्न मिलते हैं—एक नियमित ब्याज आय और दूसरा बाजार दरों में बदलाव से कैपिटल एप्रिसिएशन।
- पहले 36 महीने से अधिक होल्डिंग पर 20% इंडेक्सेशन लाभ के साथ LTCG टैक्स था, कम अवधि पर स्लैब के अनुसार STCG था।
- 1 अप्रैल 2023 से इंडेक्सेशन लाभ समाप्त हो गया; सभी लाभ निवेशक की आय में जोड़कर स्लैब दर से कर योग्य हो गए हैं।
- पहले इंडेक्सेशन के साथ 20% LTCG टैक्स से टैक्स की बचत होती थी, पर नए नियमों से यह लाभ समाप्त हो गया है।
- FD के ब्याज पर स्लैब दर के अनुसार टैक्स लगता है और TDS कटता है, जबकि म्यूचुअल फंड्स के लाभ अवधि-आधारित टैक्स योग्य होते हैं।
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डेट म्यूचुअल फंड पर कराधान – अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
डेट फंड के टैक्स नियम होल्डिंग अवधि पर निर्भर हैं। 40 महीने से कम अवधि पर शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन आपकी आयकर स्लैब के हिसाब से कर योग्य है, जबकि 40 महीने से ज्यादा पर 20% दर से इंडेक्सेशन के साथ टैक्स लगेगा।
1 अप्रैल 2023 से, इंडेक्सेशन लाभ खत्म होने से, सभी अवधि के लाभ निवेशक की कुल आय में जोड़े जाएंगे। अब, डेट फंड्स का टैक्सेशन फिक्स्ड डिपॉजिट की तरह निवेशक की इनकम स्लैब दर के अनुसार होगा।
डेट म्यूचुअल फंड पर TDS (टैक्स डिडक्टेड एट सोर्स) नहीं कटता है। निवेशकों को स्वयं ही इन फंडों से हुए कैपिटल गेन की गणना कर, टैक्स रिटर्न फाइल करते समय उसका भुगतान करना पड़ता है।
डेट म्यूचुअल फंड से प्राप्त लाभांश निवेशक की कुल आय में जोड़े जाते हैं, और निवेशक की मौजूदा आयकर स्लैब दर के अनुसार पूरी तरह टैक्स योग्य होते हैं। अब लाभांश वितरण कर (DDT) लागू नहीं है।
हाँ, डेट फंड से होने वाला रिटर्न टैक्सेबल होता है। इसकी टैक्स देयता निवेश की अवधि पर निर्भर है। शॉर्ट-टर्म लाभ पर स्लैब दर से, जबकि लॉन्ग-टर्म लाभ पर इंडेक्सेशन के साथ 20% टैक्स लागू होता है।
इंडेक्सेशन लाभ के तहत निवेश की लागत महंगाई दर के अनुसार समायोजित होती है, जिससे टैक्स की देनदारी घट जाती है। हालांकि, अप्रैल 2023 से डेट म्यूचुअल फंड्स में इंडेक्सेशन लाभ की सुविधा खत्म कर दी गई है।
होल्डिंग अवधि टैक्स की दर निर्धारित करती है। 40 महीने से कम अवधि पर स्लैब दर से कर लगता है, जबकि इससे अधिक अवधि पर 20% दर से टैक्स (1 अप्रैल 2023 से पहले इंडेक्सेशन लाभ के साथ) लागू है।
नहीं, SIP के जरिये डेट फंड में निवेश पर अलग से टैक्स नहीं लगता। प्रत्येक SIP किस्त एक अलग निवेश मानी जाती है, और उस पर सामान्य डेट फंड नियमों के अनुसार ही टैक्स लगाया जाता है।
डेट फंड में 40 महीने या उससे अधिक अवधि के निवेश से प्राप्त लाभ लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन कहलाता है, जबकि 40 महीने से कम अवधि वाले लाभ को शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन कहा जाता है।
डेट फंड्स में इंडेक्सेशन खत्म होने से निवेशकों की टैक्स देयता बढ़ेगी। लॉन्ग-टर्म निवेश पर टैक्स बचत का फायदा समाप्त होने से निवेशकों को टैक्स प्लानिंग में बदलाव करने पड़ेंगे और संभवतः निवेश रणनीति पर पुनर्विचार करना होगा।
डिस्क्लेमर: उपरोक्त लेख शैक्षिक उद्देश्यों के लिए लिखा गया है, और लेख में उल्लिखित कंपनियों का डेटा समय के साथ बदल सकता है। उद्धृत प्रतिभूतियाँ अनुकरणीय हैं और अनुशंसात्मक नहीं हैं।