शेयर और डिबेंचर दोनों कंपनियों द्वारा पूंजी जुटाने के तरीके हैं, लेकिन इन दोनों में अंतर होता है। शेयर धारक कंपनी के मालिक होते हैं और लाभांश प्राप्त करते हैं, जबकि डिबेंचर धारक निश्चित ब्याज पर निवेश करते हैं और कंपनी के मालिक नहीं होते। शेयरों में उच्च जोखिम होता है, जबकि डिबेंचर अधिक सुरक्षित होते हैं।
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शेयर का अर्थ – Shares Meaning In Hindi
शेयर एक वित्तीय उपकरण है, जो निवेशकों को कंपनियों में स्वामित्व का हिस्सा प्रदान करता है। जब आप किसी कंपनी के शेयर खरीदते हैं, तो आप उस कंपनी के आंशिक मालिक बन जाते हैं और कंपनी के लाभ में हिस्सेदार होते हैं।
शेयरों के माध्यम से निवेशक लाभांश (डिविडेंड) के रूप में आय प्राप्त कर सकते हैं, जो कंपनी के लाभ पर निर्भर करता है। इसके अलावा, शेयरों की कीमतों में उतार-चढ़ाव के कारण, निवेशक पूंजीगत लाभ (कैपिटल गेन) भी कमा सकते हैं।
डिबेंचर का अर्थ है? – Meaning Of Debenture In Hindi
डिबेंचर एक प्रकार का ऋण पत्र है, जो कंपनियों द्वारा पूंजी जुटाने के लिए जारी किया जाता है। डिबेंचर धारक को कंपनी द्वारा एक निश्चित ब्याज दर पर नियमित भुगतान मिलता है। यह शेयर से भिन्न होता है क्योंकि डिबेंचर धारक कंपनी के मालिक नहीं होते, बल्कि वे एक ऋणदाता के रूप में होते हैं।
डिबेंचर एक गैर-प्रतिस्पर्धी वित्तीय साधन है, जिसमें कंपनी अपने निवेशकों से धन उधार लेती है और इसके बदले, एक निश्चित ब्याज दर पर नियमित भुगतान करती है। डिबेंचर धारक को कंपनी की संपत्तियों पर प्राथमिकता मिलती है, यदि कंपनी दिवालिया हो जाती है। हालांकि, डिबेंचर में निवेश शेयरों की तुलना में कम जोखिमपूर्ण होता है, क्योंकि इसमें निश्चित रिटर्न और सुरक्षा होती है, लेकिन इसमें उच्च रिटर्न की संभावना भी सीमित होती है।
डिबेंचर और शेयर के बीच अंतर – Difference Between Debenture and Shares In Hindi
यर और डिबेंचर दोनों कंपनियों द्वारा पूंजी जुटाने के लिए जारी किए जाते हैं, लेकिन इनके स्वभाव और निवेशकों के अधिकारों में महत्वपूर्ण अंतर होता है। चे दी गई तालिका में इन दोनों के बीच के मुख्य अंतर स्पष्ट किए गए हैं:
विवरण | शेयर (Shares) | डिबेंचर (Debentures) |
स्वामित्व | शेधारक कंपनी के आंशिक मालिक होते हैं और उन्हें कंपनी के निर्णयों में मतदान का अधिकार प्राप्त होता है। | बेंचर धारक कंपनी के मालिक नहीं होते और उन्हें मतदान का अधिकार नहीं मिलता। |
आय | शेयरधारकों को लाभांश के रूप में आय मिलती है, जो कंपनी के लाभ पर निर्भर करती है। | डिबेंचर रकों को निश्चित ब्याज दर पर आय मिलती है, जो कंपनी कलाभ से स्वतंत्र होती है। |
जोखिम | ेयरों में निवेश उच्च जोखिम के साथ आता है, क्योंकि कनी के प्रदर्शन के आधार पर रिटर्न में उतार-चढ़ाव हो है। | डिबेंचर में निवेश कम जोखिम के साथ आता है, क्योंकि ब्याज भुगतान निश्चित होता है और कंपनी के प्रदर्शन पर निर्भर नहीं करता। |
लिक्विडिटी | शेयरों को शेयर बाजार में आसानी से खरीदा और बेचा जा सकता है, जिससे उच्च लिक्विडिटी मिलती है। | डिबेंचर की लिक्विडिटी कम होती है, क्योंकि इन्हें शेयर बाजार में आसानी से नहीं बेचा जा सकता। |
निवेश उद्देश्य | दीर्घकालिक वित्तीय सुरक्षा और जीवन कवर पर केंद्रित। | पूंजी में वृद्धि पर ध्यान केंद्रित करता है, विभिन्न संपत्तियों में निवेश करके। |
शेयरों के प्रकार – Types of Shares In Hindi
शेयरों के विभिन्न प्रकार होते हैं, जो निवेशकों को विभिन्न अधिकार और लाभ प्रदान करते हैं। नीचे प्रमुख प्रकारों की सूची दी गई है:
- इक्विटी शेयर (Equity Shares): ये शेयर कंपनी के स्वामित्व का प्रतिनिधित्व करते हैं और शेयरधारकों को कंपनी के लाभ में हिस्सा मिलता है। इनमें उच्च जोखिम और उच्च रिटर्न की संभावना होती है।
- प्राथमिकता शेयर (Preference Shares): इन शेयरों के धारकों को लाभांश में प्राथमिकता मिलती है, लेकिन ये शेयरधारक कंपनी के निर्णयों में मतदान का अधिकार नहीं रखते।
- ब्याज-रहित शेयर (Non-Cumulative Preference Shares): इन शेयरों पर लाभांश केवल उस वर्ष के लिए होता है, जिसमें लाभांश घोषित किया जाता है। यदि कंपनी लाभांश नहीं देती, तो वह अगले वर्षों में नहीं जोड़ा जाता।
- ब्याज-युक्त शेयर (Cumulative Preference Shares): इन शेयरों पर लाभांश यदि किसी वर्ष में नहीं दिया जाता, तो वह अगले वर्षों में जोड़ लिया जाता है, जिससे कुल लाभांश बढ़ जाता है।
- परिवर्तनीय शेयर (Convertible Shares): ये शेयर समय के साथ या कंपनी की शर्तों के अनुसार अन्य प्रकार के शेयरों में परिवर्तित हो सकते हैं।
- डिबेंचर (Debentures): ये ऋण पत्र होते हैं, जिनके धारकों को निश्चित ब्याज मिलता है, लेकिन ये शेयरधारकों की तरह स्वामित्व अधिकार नहीं देते।
- वॉरंट (Warrants): ये विशेष अधिकार होते हैं, जो धारक को भविष्य में एक निश्चित मूल्य पर कंपनी के शेयर खरीदने का अधिकार देते हैं।
- बॉन्ड (Bonds): ये दीर्घकालिक ऋण उपकरण होते हैं, जिनके धारकों को निश्चित ब्याज मिलता है और ये शेयरधारकों की तरह स्वामित्व अधिकार नहीं देते।
डिबेंचर के प्रकार – Types of Debentures In Hindi
डिबेंचर कंपनियों द्वारा पूंजी जुटाने के लिए जारी किए जाने वाले ऋण उपकरण हैं। इनके विभिन्न प्रकार होते हैं, जो निवेशकों को विभिन्न अधिकार और लाभ प्रदान करते हैं। नीचे प्रमुख प्रकारों की सूची दी गई है:
- सुरक्षित डिबेंचर (Secured Debentures): ये डिबेंचर संपार्श्विक (collateral) के साथ समर्थित होते हैं, जिससे निवेशकों को अधिक सुरक्षा मिलती है।
- असुरक्षित डिबेंचर (Unsecured Debentures): ये डिबेंचर बिना किसी संपार्श्विक के जारी किए जाते हैं, जिससे इनमें जोखिम अधिक होता है।
- परिवर्तनीय डिबेंचर (Convertible Debentures): ये डिबेंचर एक निश्चित अवधि के बाद कंपनी के शेयरों में परिवर्तित किए जा सकते हैं। इन्हें दो श्रेणियों में बांटा जाता है:
- पूर्णतः परिवर्तनीय डिबेंचर (Fully Convertible Debentures): ये डिबेंचर पूरी तरह से शेयरों में परिवर्तित हो जाते हैं।
- आंशिक रूप से परिवर्तनीय डिबेंचर (Partly Convertible Debentures): इन डिबेंचरों का केवल एक हिस्सा ही शेयरों में परिवर्तित होता है, जबकि शेष हिस्सा ऋण के रूप में रहता है।
- गैर-परिवर्तनीय डिबेंचर (Non-Convertible Debentures – NCDs): ये डिबेंचर परिपक्वता पर केवल मूलधन और ब्याज का भुगतान करते हैं, और इन्हें शेयरों में परिवर्तित नहीं किया जा सकता।
- नियमित डिबेंचर (Redeemable Debentures): ये डिबेंचर एक निश्चित अवधि के बाद कंपनी द्वारा वापस खरीदे जाते हैं।
- स्थायी डिबेंचर (Irredeemable Debentures): ये डिबेंचर परिपक्वता तिथि के बिना होते हैं और कंपनी के जीवनकाल तक जारी रहते हैं।
शेयरों में निवेश करने के लाभ – Benefits of Investing in Shares in Hindi
शेयरों में निवेश करने से कई लाभ होते हैं, जिनमें प्रमुख निम्नलिखित हैं:
- उच्च रिटर्न का अवसर: शेयरों में निवेश करने से दीर्घकालिक दृष्टिकोण से उच्च रिटर्न प्राप्त करने का अवसर मिलता है। यदि कंपनी का प्रदर्शन अच्छा होता है, तो निवेशक को अच्छा मुनाफा हो सकता है।
- लाभांश (Dividend): शेयरधारकों को कंपनी के लाभ का हिस्सा लाभांश के रूप में मिलता है, जो निवेशकों के लिए नियमित आय का स्रोत बन सकता है।
- पूंजीगत लाभ (Capital Gains): शेयरों की कीमतों में उतार-चढ़ाव के कारण, सही समय पर खरीदी और बेची गई शेयरों से पूंजीगत लाभ मिल सकता है।
- स्वामित्व और मतदान का अधिकार: शेयरधारक कंपनी के आंशिक मालिक होते हैं और उन्हें कंपनी के निर्णयों में मतदान का अधिकार प्राप्त होता है, जिससे कंपनी के भविष्य पर प्रभाव डालने का मौका मिलता है।
- देरावधि निवेश लाभ: दीर्घकालिक निवेश से शेयरधारक महंगाई से आगे बढ़ सकते हैं, क्योंकि शेयरों की कीमतें आमतौर पर समय के साथ बढ़ती हैं।
डिबेंचर में निवेश करने के लाभ – Benefits of Investing in Debentures in Hindi
डिबेंचर में निवेश करने के कई लाभ होते हैं, जिनमें प्रमुख निम्नलिखित हैं:
- निश्चित आय (Fixed Income): डिबेंचर धारकों को नियमित रूप से एक निश्चित ब्याज मिलता है, जो उन्हें एक स्थिर आय का स्रोत प्रदान करता है।
- कम जोखिम: डिबेंचर निवेश शेयरों की तुलना में कम जोखिमपूर्ण होते हैं क्योंकि इनमें ब्याज दर सुनिश्चित होती है और ये असुरक्षित डिबेंचरों से अधिक सुरक्षित होते हैं।
- प्राथमिकता भुगतान: यदि कंपनी दिवालिया हो जाती है, तो डिबेंचर धारकों को शेयरधारकों से पहले भुगतान किया जाता है, जिससे इनका निवेश अधिक सुरक्षित होता है।
- विविधता: डिबेंचर निवेश पोर्टफोलियो में विविधता लाने का एक अच्छा तरीका है, क्योंकि वे इक्विटी निवेश से अलग होते हैं और बाजार के उतार-चढ़ाव से कम प्रभावित होते हैं।
- कंपनी पर नियंत्रण नहीं: डिबेंचर धारक कंपनी के स्वामित्व में हिस्सेदार नहीं होते, इसलिए वे कंपनी के निर्णयों में शामिल नहीं होते, जो उन्हें कुछ मामलों में लाभकारी हो सकता है।
भारत में शेयर और डिबेंचर कैसे खरीदें? – How to Buy Shares and Debentures in India in Hindi
भारत में शेयर और डिबेंचर खरीदने के लिए निम्नलिखित प्रक्रिया का पालन करना होता है:
- डीमैट और ट्रेडिंग खाता खोलें: सबसे पहले, आपको एक डीमैट खाता और ट्रेडिंग खाता खोलना होता है। डीमैट खाता आपके निवेश को इलेक्ट्रॉनिक रूप में रखता है, जबकि ट्रेडिंग खाता शेयर और डिबेंचर की खरीदारी के लिए आवश्यक होता है। इसे किसी ब्रोकर के माध्यम से खोला जा सकता है।
- शेयर और डिबेंचर पर शोध करें: निवेश करने से पहले आपको विभिन्न कंपनियों के शेयर और डिबेंचर पर शोध करना चाहिए। आप किसी वित्तीय प्लेटफॉर्म या ब्रोकर के माध्यम से उन कंपनियों के प्रदर्शन, जोखिम और लाभ का मूल्यांकन कर सकते हैं।
- ऑर्डर प्लेस करें: एक बार शोध करने के बाद, आप ब्रोकर के प्लेटफॉर्म के माध्यम से अपने पसंदीदा शेयर और डिबेंचर खरीदने के लिए आदेश दे सकते हैं। आदेश की पुष्टि के बाद, आपके डीमैट खाते में निवेश सुरक्षित हो जाता है। डिबेंचर के लिए प्राइमरी या सेकेंडरी बाजार में से एक विकल्प चुना जा सकता है।
- नियमित मॉनिटरिंग: शेयर और डिबेंचर खरीदने के बाद, अपने निवेश का नियमित रूप से मूल्यांकन करें और कंपनी के प्रदर्शन को ट्रैक करें। डिबेंचर धारकों को निश्चित ब्याज मिलता है, जबकि शेयरधारक कंपनी के लाभ में हिस्सेदार होते हैं।
विषय को समझने के लिए और अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए, नीचे दिए गए संबंधित स्टॉक मार्केट लेखों को अवश्य पढ़ें।
डिबेंचर बनाम शेयर के बारे में त्वरित सारांश
- शेयर कंपनी में हिस्सेदारी का प्रतीक होते हैं, जो स्वामित्व और लाभांश का अधिकार प्रदान करते हैं। डिबेंचर एक ऋण उपकरण है, जिसमें निवेशकों को निश्चित ब्याज मिलता है, लेकिन स्वामित्व का अधिकार नहीं होता।
- शेयर स्वामित्व प्रदान करते हैं, जबकि डिबेंचर केवल ऋण प्रदान करते हैं और ब्याज प्राप्त करते हैं। प्रमुख प्रकारों में इक्विटी, प्राथमिकता, परिवर्तनीय और गैर-परिवर्तनीय शेयर शामिल हैं, जो निवेशकों को विभिन्न अधिकार प्रदान करते हैं।
- डिबेंचर के प्रकारों में सुरक्षित, असुरक्षित, परिवर्तनीय, और गैर-परिवर्तनीय शामिल हैं, जो निवेशकों को अलग-अलग लाभ और जोखिम प्रदान करते हैं।
- शेयरों में निवेश से उच्च रिटर्न, लाभांश, और पूंजीगत लाभ की संभावना होती है, साथ ही स्वामित्व का अधिकार भी मिलता है।
- डिबेंचर में निवेश से स्थिर आय, कम जोखिम, और प्राथमिकता भुगतान जैसे लाभ मिलते हैं, जो सुरक्षा प्रदान करते हैं।
- निवेशक डीमैट और ट्रेडिंग खाता खोलकर शेयर और डिबेंचर खरीद सकते हैं, और ब्रोकर के माध्यम से निवेश कर सकते हैं।
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डिबेंचर और शेयर के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
डिबेंचर एक ऋण उपकरण है, जिसमें निवेशक को निश्चित ब्याज मिलता है, जबकि शेयर स्वामित्व के हिस्से होते हैं, जिनमें लाभ और नुकसान कंपनी के प्रदर्शन पर निर्भर करते हैं।
शेयर एक वित्तीय उपकरण है जो निवेशक को कंपनी में हिस्सेदारी का अधिकार देता है। शेयरधारक कंपनी के लाभ, नुकसान और वोटिंग अधिकारों में भागीदार होते हैं।
शेयर में निवेश करने के लिए आपको डीमैट और ट्रेडिंग खाता खोलना होता है। इसके बाद, ब्रोकर के माध्यम से आप बाजार में शेयर खरीद सकते हैं और बेच सकते हैं।
नहीं, डिबेंचर लाभांश का भुगतान नहीं करते। डिबेंचर धारक को ब्याज मिलता है, जो निश्चित समय पर चुकता किया जाता है, लेकिन लाभांश नहीं दिया जाता।
डिबेंचर धारक वह व्यक्ति होते हैं जिन्होंने कंपनी द्वारा जारी किए गए डिबेंचर खरीदे हैं। उन्हें ब्याज के रूप में आय मिलती है, लेकिन कंपनी में स्वामित्व का अधिकार नहीं होता।
हां, डिबेंचर एक प्रकार का ऋण है। कंपनी डिबेंचर जारी करती है और निवेशक को इसके बदले ब्याज देती है, जबकि मूलधन की वापसी भी निर्धारित होती है।
हां, निवेशक एक ही समय में शेयर और डिबेंचर दोनों खरीद सकते हैं, क्योंकि इन दोनों के निवेश के तरीके और सुरक्षा संरचनाएं अलग-अलग होती हैं।
नॉमिनल वैल्यू डिबेंचर के मामले में उस पर मिलने वाली ब्याज दर के आधार पर निर्धारित होती है, जबकि शेयर की नॉमिनल वैल्यू कंपनी की पूंजीकरण और बाजार मांग पर निर्भर करती है।
नहीं, शेयरों और डिबेंचर पर अलग-अलग टैक्स दरें होती हैं। शेयरों पर लंबी अवधि के पूंजीगत लाभ पर टैक्स कम होता है, जबकि डिबेंचर पर ब्याज आय पर कर लगता है।
जी हां, डिबेंचर शेयरों की तुलना में अधिक सुरक्षित होते हैं क्योंकि डिबेंचर धारकों को कंपनी के दिवालियापन में पहले भुगतान किया जाता है, जबकि शेयरधारकों को बाद में भुगतान मिलता है।
डिस्क्लेमर: उपरोक्त लेख शैक्षिक उद्देश्यों के लिए लिखा गया है, और लेख में उल्लिखित कंपनियों का डेटा समय के साथ बदल सकता है। उद्धृत प्रतिभूतियाँ अनुकरणीय हैं और अनुशंसात्मक नहीं हैं।