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FDI और FPI का अर्थ - FDI and FPI meaning in Hindi

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FDI और FPI का अर्थ – FDI and FPI meaning in Hindi

प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) में विदेशी कंपनियाँ या व्यक्ति किसी अन्य देश में व्यवसाय स्थापित करने या मौजूदा व्यवसाय में हिस्सेदारी खरीदने के माध्यम से निवेश करते हैं, जिससे उन्हें प्रबंधन में नियंत्रण मिलता है। इसके विपरीत, विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (FPI) में विदेशी निवेशक किसी देश की वित्तीय संपत्तियों, जैसे शेयर या बॉन्ड, में निवेश करते हैं, लेकिन कंपनी के प्रबंधन में उनका कोई नियंत्रण नहीं होता है।

Table of Contents

FDI का अर्थ – What is FDI in Hindi

प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) तब होता है जब कोई विदेशी संस्था या व्यक्ति किसी अन्य देश में व्यवसायिक संपत्ति में निवेश करता है, जिससे उसे उस व्यवसाय के प्रबंधन में नियंत्रण मिलता है। यह निवेश नए व्यवसाय की स्थापना, मौजूदा व्यवसाय का अधिग्रहण, या किसी विदेशी कंपनी के साथ संयुक्त उद्यम के माध्यम से किया जा सकता है।

FDI से निवेशक को विदेशी बाजारों में विस्तार करने, सस्ते श्रम और कच्चे माल का लाभ उठाने, और नए उपभोक्ता आधार तक पहुंचने में सहायता मिलती है। यह निवेश प्राप्त करने वाले देश के लिए भी लाभकारी होता है, क्योंकि इससे पूंजी, प्रौद्योगिकी, और विशेषज्ञता का प्रवाह होता है, जो आर्थिक विकास और रोजगार सृजन में सहायक होता है।

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FDI के उदाहरण – Examples of FDI in Hindi

प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) के उदाहरणों में शामिल हैं:

  • क्षैतिज FDI: स्पेन की परिधान कंपनी ज़ारा का भारत की फैबइंडिया में निवेश, जहाँ दोनों कंपनियाँ समान उत्पाद बनाती हैं।
  • ऊर्ध्वाधर FDI: स्विस कॉफी निर्माता नेसकैफ़े का ब्राज़ील या वियतनाम में कॉफी बागानों में निवेश, जिससे आपूर्ति श्रृंखला में नियंत्रण बढ़ता है।
  • कांग्लोमरेट FDI: अमेरिकी रिटेलर वॉलमार्ट का भारतीय ऑटोमोबाइल निर्माता टाटा मोटर्स में निवेश, जो पूरी तरह से अलग उद्योगों में है।
  • प्लेटफ़ॉर्म FDI: फ्रांसीसी परफ्यूम ब्रांड चैनल का संयुक्त राज्य अमेरिका में उत्पादन सुविधा स्थापित करना और वहाँ से एशिया एवं यूरोप में उत्पाद निर्यात करना।

FDI के लाभ – Advantages of FDI in Hindi

प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) से निम्नलिखित लाभ होते हैं:

  1. आर्थिक विकास में वृद्धि: FDI से देश में पूंजी प्रवाह बढ़ता है, जिससे आर्थिक विकास को प्रोत्साहन मिलता है। यह निवेश बुनियादी ढांचे के विकास और उत्पादन क्षमता में वृद्धि में सहायक होता है।
  2. रोजगार के अवसर: विदेशी निवेश से नए उद्योगों की स्थापना होती है, जिससे रोजगार के नए अवसर उत्पन्न होते हैं और बेरोजगारी दर में कमी आती है।
  3. प्रौद्योगिकी हस्तांतरण: FDI के माध्यम से उन्नत तकनीक और विशेषज्ञता का हस्तांतरण होता है, जिससे घरेलू उद्योगों की दक्षता और प्रतिस्पर्धात्मकता में वृद्धि होती है।
  4. मानव संसाधन विकास: विदेशी कंपनियाँ अपने कर्मचारियों को प्रशिक्षण और कौशल विकास के अवसर प्रदान करती हैं, जिससे स्थानीय कार्यबल की क्षमता में सुधार होता है।
  5. निर्यात में वृद्धि: FDI से उत्पादित वस्तुओं का निर्यात बढ़ता है, जिससे विदेशी मुद्रा अर्जित होती है और भुगतान संतुलन में सुधार होता है।
  6. प्रतिस्पर्धा में वृद्धि: विदेशी कंपनियों के आगमन से घरेलू बाजार में प्रतिस्पर्धा बढ़ती है, जिससे उपभोक्ताओं को बेहतर गुणवत्ता के उत्पाद और सेवाएँ मिलती हैं।
  7. विनिमय दर स्थिरता: निरंतर विदेशी मुद्रा प्रवाह से देश की मुद्रा की विनिमय दर स्थिर रहती है, जिससे आर्थिक स्थिरता सुनिश्चित होती है।

FDI के हानि – Disadvantages of FDI in Hindi

प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) से निम्नलिखित संभावित हानियाँ हो सकती हैं:

  1. घरेलू निवेश में बाधा: FDI के कारण स्थानीय कंपनियाँ निवेश करने से हिचकिचा सकती हैं, जिससे घरेलू निवेश में कमी आ सकती है। citeturn0search0
  2. राजनीतिक जोखिम: विदेशी निवेशक राजनीतिक अस्थिरता वाले देशों में निवेश करने से बच सकते हैं, जिससे निवेश प्रवाह प्रभावित हो सकता है। citeturn0search0
  3. विनिमय दर पर नकारात्मक प्रभाव: FDI से विनिमय दरों में उतार-चढ़ाव हो सकता है, जो एक देश के लिए लाभकारी और दूसरे के लिए हानिकारक हो सकता है। citeturn0search0
  4. उच्च लागत: विदेशी निवेशकों को कभी-कभी घरेलू उत्पादन की तुलना में अधिक लागत का सामना करना पड़ता है, विशेष रूप से मशीनरी और बौद्धिक संपदा में। citeturn0search0
  5. आर्थिक निर्भरता: FDI से विकासशील देशों में प्राकृतिक संसाधनों का तेजी से दोहन हो सकता है, जिससे वे इन संसाधनों पर अत्यधिक निर्भर हो सकते हैं। citeturn0search2
  6. आर्थिक उपनिवेशवाद: कुछ देशों को चिंता होती है कि FDI आधुनिक आर्थिक उपनिवेशवाद का रूप ले सकता है, जिससे विदेशी कंपनियाँ घरेलू संसाधनों का शोषण कर सकती हैं। citeturn0search0
  7. प्रदूषण और पर्यावरणीय प्रभाव: FDI से पर्यावरणीय प्रदूषण और प्राकृतिक संसाधनों का अत्यधिक दोहन हो सकता है, जिससे दीर्घकालिक पर्यावरणीय समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं। citeturn0search2

FPI मतलब – What is FPI in Hindi

​विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (FPI) वह निवेश है जो विदेशी व्यक्तियों या संस्थानों द्वारा किसी अन्य देश की वित्तीय संपत्तियों, जैसे शेयर, बॉन्ड, म्यूचुअल फंड आदि, में किया जाता है। यह निवेशक को निवेशित कंपनियों के प्रबंधन या नियंत्रण में प्रत्यक्ष भूमिका नहीं देता, बल्कि वित्तीय लाभ अर्जित करने के उद्देश्य से किया जाता है। 

FPI निवेशकों को उनके पोर्टफोलियो में विविधता लाने और वैश्विक बाजारों में भागीदारी का अवसर प्रदान करता है। यह निवेश आमतौर पर अल्पकालिक होता है और निवेशक बाजार की स्थितियों के अनुसार अपने निवेश को तेजी से खरीद या बेच सकते हैं। हालांकि, FPI बाजार की अस्थिरता के प्रति संवेदनशील होता है, जिससे अचानक पूंजी निकासी का जोखिम बना रहता है।

FPI के उदाहरण – Examples of FPI in Hindi

विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (FPI) के कुछ उदाहरण निम्नलिखित हैं:

  • विदेशी इक्विटी निवेश: अमेरिकी निवेशक द्वारा भारतीय कंपनियों के शेयरों की खरीदारी।
  • विदेशी ऋण निवेश: जर्मन निवेशक द्वारा भारतीय सरकारी बॉन्ड में निवेश।
  • म्यूचुअल फंड निवेश: ब्रिटिश निवेशक द्वारा भारतीय म्यूचुअल फंड में निवेश।
  • एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड (ETF) निवेश: कनाडाई निवेशक द्वारा भारतीय बाजार से जुड़े ETF में निवेश।
  • डेरिवेटिव्स में निवेश: ऑस्ट्रेलियाई निवेशक द्वारा भारतीय स्टॉक ऑप्शंस या फ्यूचर्स में निवेश।

FPI के लाभ – Advantages of FPI in Hindi

विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (FPI) के माध्यम से निवेशकों को निम्नलिखित लाभ प्राप्त होते हैं:

  1. पोर्टफोलियो विविधीकरण: FPI निवेशकों को अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में निवेश करने का अवसर प्रदान करता है, जिससे वे अपने निवेश पोर्टफोलियो में विविधता ला सकते हैं और जोखिम को कम कर सकते हैं।
  2. उच्च तरलता: FPI संपत्तियाँ अक्सर आसानी से खरीदी और बेची जा सकती हैं, जिससे निवेशकों को अपने निवेश को त्वरित रूप से नकदी में बदलने की सुविधा मिलती है।
  3. उच्चतर रिटर्न की संभावना: उभरते और विकासशील बाजारों में FPI निवेश से निवेशकों को उच्च विकास दर का लाभ उठाने और संभावित रूप से अधिक रिटर्न प्राप्त करने का अवसर मिलता है।
  4. मुद्रा विनिमय लाभ: FPI निवेशकों को विभिन्न मुद्राओं में निवेश करने का अवसर मिलता है, जिससे वे विनिमय दरों में उतार-चढ़ाव से लाभ उठा सकते हैं।
  5. आसान प्रवेश और निकास: प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) की तुलना में, FPI में निवेशकों को बाजार में तेजी से प्रवेश करने या बाहर निकलने की सुविधा मिलती है, जिससे अधिक लचीलापन और अनुकूलन क्षमता मिलती है।

FPI के हानि – Disadvantages of FPI in Hindi

विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (FPI) के कुछ संभावित नुकसान निम्नलिखित हैं:

  1. बाजार में अस्थिरता: FPI निवेशक अक्सर अल्पकालिक लाभ के लिए निवेश करते हैं। जब वे तेजी से अपने निवेश निकालते हैं, तो शेयर बाजार में भारी गिरावट आ सकती है, जिससे अस्थिरता बढ़ती है।
  2. आर्थिक निर्भरता: FPI पर अत्यधिक निर्भरता से घरेलू अर्थव्यवस्था विदेशी निवेशकों के निर्णयों पर निर्भर हो सकती है, जिससे आर्थिक स्थिरता प्रभावित हो सकती है।
  3. विनिमय दर पर प्रभाव: FPI के बड़े पैमाने पर अंतर्वाह या बहिर्वाह से स्थानीय मुद्रा की विनिमय दर में उतार-चढ़ाव हो सकता है, जिससे आयात-निर्यात और समग्र आर्थिक संतुलन प्रभावित होता है।
  4. सट्टा जोखिम: FPI से वित्तीय बाजारों में सट्टेबाजी को बढ़ावा मिल सकता है, जिससे आर्थिक वातावरण में अस्थिरता और जोखिम बढ़ सकते हैं।
  5. विनियामक चुनौतियाँ: FPI का प्रबंधन और विनियमन जटिल हो सकता है, जिससे घरेलू वित्तीय संस्थानों और नियामकों के लिए अतिरिक्त चुनौतियाँ उत्पन्न होती हैं।

FDI बनाम FPI – Difference Between FDI and FPI in Hindi

प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) और विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (FPI) दोनों ही विदेशी निवेश के प्रमुख रूप हैं, लेकिन इनमें कई महत्वपूर्ण अंतर हैं। नीचे एक तालिका के माध्यम से इन दोनों के बीच मुख्य अंतर प्रस्तुत किए गए हैं:

पैरामीटरFDI (प्रत्यक्ष विदेशी निवेश)FPI (विदेशी पोर्टफोलियो निवेश)
परिभाषाविदेशी निवेशक द्वारा किसी अन्य देश में स्थित व्यवसाय में प्रत्यक्ष स्वामित्व और नियंत्रण के साथ किया गया निवेश।विदेशी निवेशक द्वारा किसी अन्य देश की वित्तीय संपत्तियों, जैसे शेयर, बॉन्ड आदि, में किया गया निवेश, जिसमें प्रत्यक्ष नियंत्रण नहीं होता।
नियंत्रण का स्तरउच्च; निवेशक का कंपनी के प्रबंधन और संचालन में सक्रिय भूमिका होती है।निम्न; निवेशक का कंपनी के प्रबंधन में कोई सक्रिय भूमिका नहीं होती।
निवेश की अवधिदीर्घकालिक; निवेशक लंबे समय तक निवेशित रहता है।अल्पकालिक; निवेशक बाजार की स्थितियों के अनुसार तेजी से प्रवेश और निकास कर सकता है।
तरलता (Liquidity)कम; निवेश से बाहर निकलना कठिन और समय लेने वाला होता है।उच्च; निवेश से बाहर निकलना अपेक्षाकृत आसान और त्वरित होता है।
जोखिमराजनीतिक, आर्थिक और नियामक जोखिमों के प्रति संवेदनशील।बाजार की अस्थिरता और मुद्रा विनिमय दरों में उतार-चढ़ाव के प्रति संवेदनशील।
प्रभावरोजगार सृजन, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण, और आर्थिक विकास में योगदान।वित्तीय बाजारों में तरलता बढ़ाता है, लेकिन वास्तविक अर्थव्यवस्था पर प्रत्यक्ष प्रभाव कम होता है।

FDI में निवेश कैसे करें – How to Invest in FDI

प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) के माध्यम से किसी विदेशी देश में निवेश करने के लिए निम्नलिखित चरणों का पालन किया जा सकता है:

  1. उद्योग और निवेश प्रकार का चयन करें: पहले यह तय करें कि आप किस उद्योग या क्षेत्र में निवेश करना चाहते हैं और कौन सा FDI प्रकार (जैसे, ग्रीनफील्ड निवेश, ब्राउनफील्ड निवेश, संयुक्त उद्यम) आपके उद्देश्यों के लिए उपयुक्त है।
  2. लक्षित देश की FDI नीतियों की समीक्षा करें: जिस देश में आप निवेश करना चाहते हैं, उसकी FDI नीतियों, अनुमत क्षेत्रों, और प्रतिबंधों को समझें। कुछ देशों में स्वचालित मार्ग के तहत निवेश संभव है, जबकि अन्य में सरकारी अनुमोदन आवश्यक हो सकता है।
  3. कानूनी और नियामक आवश्यकताओं को समझें: लक्षित देश के कानूनी ढांचे, कराधान नीतियों, और व्यापारिक नियमों का अध्ययन करें ताकि निवेश प्रक्रिया में कोई बाधा न आए।
  4. स्थानीय साझेदारों के साथ सहयोग करें: यदि आवश्यक हो, तो स्थानीय कंपनियों या विशेषज्ञों के साथ साझेदारी करें ताकि स्थानीय बाजार की समझ और संचालन में सहायता मिल सके।
  5. निवेश प्रक्रिया पूरी करें: सभी आवश्यक दस्तावेज़ तैयार करें, अनुमोदन प्राप्त करें, और निवेश को अंतिम रूप दें। सुनिश्चित करें कि सभी कानूनी और नियामक आवश्यकताओं का पालन हो रहा है।

FPI में निवेश कैसे करें – How to Invest in FPI

विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (FPI) के माध्यम से विदेशी वित्तीय संपत्तियों में निवेश करने के लिए निम्नलिखित चरणों का पालन किया जा सकता है:

  1. पात्रता सुनिश्चित करें: FPI निवेशक के रूप में पंजीकरण के लिए, सुनिश्चित करें कि आप अनिवासी भारतीय (NRI) नहीं हैं और फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) की सार्वजनिक सूची में शामिल देश के नागरिक नहीं हैं। इसके अलावा, आपके देश में विदेशी प्रतिभूतियों में निवेश करने की अनुमति होनी चाहिए।
  2. सेबी के साथ पंजीकरण करें: भारतीय वित्तीय बाजारों में निवेश करने के लिए, भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) के साथ विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (FPI) के रूप में पंजीकरण आवश्यक है। पंजीकरण प्रक्रिया के दौरान, आपको आवश्यक दस्तावेज़ और शुल्क जमा करने होंगे।
  3. स्थानीय कस्टोडियन नियुक्त करें: भारत में निवेश प्रबंधन और अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए, एक स्थानीय कस्टोडियन बैंक या एजेंट नियुक्त करें। यह कस्टोडियन आपके निवेश की सुरक्षा और स्थानीय नियमों के अनुपालन में सहायता करेगा।
  4. निवेश रणनीति विकसित करें: भारतीय वित्तीय बाजारों में निवेश करने से पहले, एक स्पष्ट निवेश रणनीति बनाएं। यह रणनीति आपके निवेश उद्देश्यों, जोखिम सहनशीलता, और लक्षित परिसंपत्ति वर्गों (जैसे, इक्विटी, बॉन्ड, म्यूचुअल फंड) को परिभाषित करेगी।
  5. नियमित अनुपालन और रिपोर्टिंग: भारतीय नियामक प्राधिकरणों द्वारा निर्धारित नियमों और विनियमों का पालन करें। इसमें नियमित रिपोर्टिंग, कर अनुपालन, और अन्य आवश्यकताओं का पालन शामिल है।

FDI और FPI का अर्थ – त्वरित सारांश

  • त्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) में विदेशी कंपनियाँ किसी अन्य देश में व्यवसाय में हिस्सेदारी लेकर स्वामित्व और नियंत्रण प्राप्त करती हैं।
  • ज़ारा का भारत में निवेश, नेसकैफ़े द्वारा ब्राज़ील में कॉफी बागानों की खरीद, और वॉलमार्ट का फ्लिपकार्ट में निवेश।
  • यह आर्थिक विकास को बढ़ावा देता है, रोजगार के अवसर बढ़ाता है, तकनीकी नवाचार लाता है, और निर्यात को बढ़ावा देता है।
  •  घरेलू कंपनियों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है, विदेशी नियंत्रण बढ़ता है, और स्थानीय बाजारों में अस्थिरता आ सकती है।
  •  विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (FPI) वह निवेश है जिसमें विदेशी निवेशक किसी देश के वित्तीय बाजारों में शेयर, बॉन्ड, आदि खरीदते हैं।
  • अमेरिकी निवेशक का भारतीय शेयर बाजार में निवेश, विदेशी संस्थागत निवेशकों (FIIs) द्वारा भारतीय सरकारी बॉन्ड की खरीद।
  • यह बाजार में तरलता बढ़ाता है, निवेशकों को विविधीकरण का मौका देता है और कम लागत में वैश्विक निवेश की सुविधा देता है।
  • यह अस्थिरता बढ़ाता है, मुद्रा विनिमय दर को प्रभावित करता है, और अचानक निकासी से बाजार में भारी गिरावट ला सकता है।
  • FDI में निवेशक प्रत्यक्ष स्वामित्व लेते हैं, जबकि FPI में केवल वित्तीय संपत्तियों में निवेश किया जाता है, बिना नियंत्रण के।
  • लक्षित उद्योग चुनें, देश की FDI नीतियों की समीक्षा करें, कानूनी आवश्यकताओं को पूरा करें और निवेश प्रक्रिया पूरी करें।
  • SEBI में पंजीकरण करें, स्थानीय कस्टोडियन नियुक्त करें, निवेश रणनीति विकसित करें, और नियामक अनुपालन सुनिश्चित करें।
  • आज ही ऐलिस ब्लू के साथ फ्री डीमैट खाता खोलें! स्टॉक्स, म्यूचुअल फंड्स, बॉन्ड्स और आईपीओ में मुफ्त में निवेश करें।
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FDI और FPI के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

1. FDI और FPI में क्या अंतर है?

FDI में विदेशी निवेशक किसी देश के व्यवसाय में स्वामित्व और नियंत्रण लेते हैं, जबकि FPI में केवल वित्तीय संपत्तियों, जैसे शेयर और बॉन्ड, में निवेश किया जाता है। FDI दीर्घकालिक होता है, जबकि FPI अल्पकालिक होता है और बाजार की अस्थिरता से प्रभावित होता है।

2. FDI के क्या लाभ हैं?

FDI से पूंजी प्रवाह बढ़ता है, जिससे देश का आर्थिक विकास तेज होता है। यह रोजगार सृजन, तकनीकी उन्नति, निर्यात वृद्धि, और बुनियादी ढांचे के विकास में मदद करता है। इसके अलावा, स्थानीय कंपनियों को विदेशी कंपनियों से सीखने और वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धा करने का अवसर मिलता है।

3. FPI के क्या लाभ हैं?

FPI से वित्तीय बाजार में तरलता बढ़ती है, जिससे शेयरों की कीमत स्थिर रहती है। यह निवेशकों को विभिन्न देशों के बाजारों में निवेश करने का अवसर देता है, जिससे जोखिम कम होता है। इसके अलावा, यह अल्पकालिक लाभ प्राप्त करने का अवसर प्रदान करता है और तेजी से प्रवेश और निकासी की सुविधा देता है।


4. FDI के उदाहरण क्या हैं?

वॉलमार्ट का फ्लिपकार्ट में निवेश, टेस्ला का भारत में निर्माण संयंत्र खोलना, और ज़ारा का भारतीय खुदरा बाजार में प्रवेश FDI के उदाहरण हैं। इसी तरह, जापानी ऑटोमोबाइल कंपनियों का भारत में संयंत्र स्थापित करना भी FDI का एक अच्छा उदाहरण है।

5. FPI के उदाहरण क्या हैं?

अमेरिकी निवेशकों द्वारा भारतीय शेयर बाजार में निवेश, विदेशी फंड्स द्वारा भारतीय बॉन्ड मार्केट में निवेश, और हेज फंड्स द्वारा भारतीय म्यूचुअल फंड्स में भागीदारी FPI के उदाहरण हैं। विदेशी संस्थागत निवेशक (FIIs) भारत में प्रमुख कंपनियों के शेयरों में निवेश करते हैं।

6. FDI और FPI का एक देश की अर्थव्यवस्था पर क्या प्रभाव पड़ता है?

FDI से दीर्घकालिक आर्थिक विकास, बुनियादी ढांचे में सुधार और रोजगार सृजन होता है, जबकि FPI से वित्तीय बाजारों की तरलता बढ़ती है। हालांकि, FPI के उतार-चढ़ाव से बाजार में अस्थिरता आ सकती है, जबकि FDI अर्थव्यवस्था में स्थिरता और प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाने में मदद करता है।

7. क्या FDI और FPI निवेश जोखिमपूर्ण हैं?

FDI अपेक्षाकृत सुरक्षित होता है क्योंकि यह दीर्घकालिक निवेश है, जबकि FPI अधिक जोखिमपूर्ण होता है क्योंकि यह बाजार की अस्थिरता से प्रभावित होता है। FPI में अचानक पूंजी निकासी का खतरा होता है, जिससे बाजार गिर सकता है, जबकि FDI में राजनीतिक और नियामक जोखिम अधिक होते हैं।

8. FDI और FPI के लिए भारत में कौन से नियम लागू होते हैं?

भारत में FDI नीति को सरकार और RBI नियंत्रित करते हैं। कुछ क्षेत्रों में स्वचालित मार्ग उपलब्ध है, जबकि कुछ में सरकारी मंजूरी आवश्यक होती है। FPI के लिए SEBI के नियम लागू होते हैं, और विदेशी निवेशकों को SEBI में पंजीकरण कराना होता है।

9. FDI और FPI के लिए कराधान नियम क्या हैं?

FDI निवेशकों को लाभांश कर, कॉर्पोरेट टैक्स, और पूंजीगत लाभ कर देना होता है। FPI निवेशकों पर अल्पकालिक और दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ कर लागू होते हैं, जो निवेश की अवधि और श्रेणी पर निर्भर करते हैं। सरकार समय-समय पर कर नीतियों में बदलाव कर सकती है।

10. FDI और FPI निवेशकों के लिए कौन से उद्योग सबसे आकर्षक हैं?

FDI निवेशकों के लिए ऑटोमोबाइल, सूचना प्रौद्योगिकी, फार्मा, मैन्युफैक्चरिंग, और ई-कॉमर्स प्रमुख क्षेत्र हैं। FPI निवेशकों के लिए बैंकिंग, टेक्नोलॉजी, FMCG, और ऊर्जा क्षेत्र आकर्षक माने जाते हैं क्योंकि ये अल्पकालिक और दीर्घकालिक रिटर्न प्रदान कर सकते हैं।

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डिस्क्लेमर: उपरोक्त लेख शैक्षिक उद्देश्यों के लिए लिखा गया है, और लेख में उल्लिखित कंपनियों का डेटा समय के साथ बदल सकता है। उद्धृत प्रतिभूतियाँ अनुकरणीय हैं और अनुशंसात्मक नहीं हैं।

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