स्टॉक स्प्लिट के माध्यम से कंपनियां अपने शेयरों की संख्या बढ़ाकर प्रति शेयर कीमत कम करती हैं, जिससे शेयर अधिक किफायती हो जाते हैं। यह छोटे निवेशकों को आकर्षित करता है और शेयर की तरलता में सुधार करता है। हालांकि, स्टॉक स्प्लिट कंपनी के कुल बाजार पूंजीकरण या निवेशक के कुल मूल्य को प्रभावित नहीं करता है।
Table of Contents
स्टॉक स्प्लिट क्या है? – Stock Split Meaning In Hindi
स्टॉक स्प्लिट एक कॉर्पोरेट कार्रवाई है जिसमें कंपनी अपने मौजूदा शेयरों को विभाजित करके कुल शेयरों की संख्या बढ़ाती है, जबकि प्रत्येक शेयर का मूल्य आनुपातिक रूप से कम हो जाता है। उदाहरण के लिए, 2:1 के स्टॉक स्प्लिट में, प्रत्येक मौजूदा शेयरधारक को एक अतिरिक्त शेयर मिलता है, जिससे उनके शेयरों की संख्या दोगुनी हो जाती है, लेकिन प्रति शेयर मूल्य आधा हो जाता है।
स्टॉक स्प्लिट का मुख्य उद्देश्य शेयरों को अधिक किफायती बनाना है, ताकि छोटे निवेशक भी उन्हें खरीद सकें। इसके अलावा, यह शेयर की तरलता में सुधार करता है, जिससे बाजार में शेयरों की खरीद-बिक्री आसान हो जाती है। हालांकि, स्टॉक स्प्लिट से कंपनी के कुल बाजार पूंजीकरण या निवेशक के कुल मूल्य में कोई परिवर्तन नहीं होता है।

स्टॉक स्प्लिट के प्रकार – Types of Stock Split in Hindi
स्टॉक स्प्लिट मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं:
- फॉरवर्ड स्टॉक स्प्लिट (Forward Stock Split): इसमें कंपनी अपने प्रत्येक मौजूदा शेयर को एक निश्चित अनुपात में विभाजित करती है, जैसे 2-फॉर-1 या 3-फॉर-1। उदाहरण के लिए, 2-फॉर-1 स्प्लिट में, प्रत्येक शेयरधारक के पास प्रत्येक मौजूदा शेयर के बदले दो नए शेयर होंगे, और प्रत्येक शेयर की कीमत आधी हो जाएगी।
- रिवर्स स्टॉक स्प्लिट (Reverse Stock Split): इसमें कंपनी अपने मौजूदा शेयरों को मिलाकर कम संख्या में उच्च मूल्य वाले शेयर बनाती है, जैसे 1-फॉर-2 या 1-फॉर-3। उदाहरण के लिए, 1-फॉर-2 रिवर्स स्प्लिट में, प्रत्येक शेयरधारक के दो मौजूदा शेयर एक नए शेयर में बदल जाएंगे, और नए शेयर की कीमत पहले के दो शेयरों की कुल कीमत के बराबर होगी।
स्टॉक स्प्लिट के फायदे – Advantages Of Stock Split In Hindi
स्टॉक स्प्लिट के कई लाभ हैं:
- बढ़ी हुई वहनीयता: स्टॉक स्प्लिट के बाद शेयर की कीमत कम हो जाती है, जिससे छोटे निवेशकों के लिए इसे खरीदना आसान हो जाता है।
- बेहतर तरलता: शेयर की कीमत कम होने से ट्रेडिंग वॉल्यूम बढ़ता है, जिससे शेयरों की खरीद-बिक्री में आसानी होती है।
- निवेशकों का आकर्षण: कम कीमत वाले शेयर अधिक निवेशकों को आकर्षित करते हैं, जिससे शेयर की मांग बढ़ती है।
- सकारात्मक बाजार संकेत: स्टॉक स्प्लिट कंपनी की वृद्धि और स्थिरता का संकेत देता है, जिससे निवेशकों का विश्वास बढ़ता है।
- पोर्टफोलियो प्रबंधन में सुविधा: कम कीमत वाले शेयरों के कारण निवेशक अपने पोर्टफोलियो को आसानी से संतुलित कर सकते हैं।
स्टॉक स्प्लिट कैसे काम करता है?
स्टॉक स्प्लिट कैसे काम करता है, इसे समझने के लिए निम्नलिखित चरण देखें:
- विभाजन अनुपात का निर्धारण: कंपनी अपने बोर्ड मीटिंग में स्टॉक स्प्लिट का अनुपात तय करती है, जैसे 2:1, 3:1, आदि। उदाहरण के लिए, 2:1 के अनुपात में, प्रत्येक मौजूदा शेयरधारक को एक अतिरिक्त शेयर मिलेगा।
- शेयरधारकों को सूचित करना: कंपनी स्प्लिट की घोषणा करती है और शेयरधारकों को इसके बारे में सूचित करती है, जिसमें रिकॉर्ड तिथि और स्प्लिट अनुपात की जानकारी शामिल होती है।
- रिकॉर्ड तिथि का निर्धारण: कंपनी एक रिकॉर्ड तिथि निर्धारित करती है, जिसके अनुसार जिन निवेशकों के पास उस तिथि तक कंपनी के शेयर होते हैं, वे स्प्लिट के पात्र होते हैं।
- शेयरों की संख्या में वृद्धि: स्प्लिट के प्रभावी होने पर, प्रत्येक शेयरधारक के पास मौजूदा शेयरों की संख्या के अनुसार नए शेयर जुड़ जाते हैं। उदाहरण के लिए, 2:1 स्प्लिट में, यदि किसी निवेशक के पास पहले 100 शेयर थे, तो स्प्लिट के बाद उनके पास 200 शेयर हो जाएंगे।
- शेयर मूल्य का समायोजन: शेयरों की संख्या बढ़ने के साथ, प्रत्येक शेयर का मूल्य आनुपातिक रूप से कम हो जाता है। उदाहरण के लिए, यदि स्प्लिट से पहले शेयर की कीमत ₹100 थी और 2:1 स्प्लिट हुआ, तो स्प्लिट के बाद प्रत्येक शेयर की कीमत ₹50 हो जाएगी।
कंपनियां स्टॉक स्प्लिट क्यों करती हैं?
कंपनियां स्टॉक स्प्लिट इसलिए करती हैं ताकि उनके शेयर छोटे निवेशकों के लिए अधिक सुलभ बन सकें। जब किसी शेयर की कीमत बहुत अधिक हो जाती है, तो उसकी खरीदारी मुश्किल हो जाती है। स्टॉक स्प्लिट के जरिए प्रति शेयर कीमत कम होती है, जिससे अधिक निवेशक इसे खरीदने के लिए आकर्षित होते हैं।
स्टॉक स्प्लिट से शेयर की तरलता में भी सुधार होता है, क्योंकि कम कीमत पर अधिक ट्रेडिंग संभव होती है। इसके अलावा, यह कंपनी के शेयर को बाजार में प्रतिस्पर्धी बनाए रखने में मदद करता है। निवेशकों के लिए यह सकारात्मक संकेत होता है और कंपनी की ब्रांड वैल्यू भी मजबूत होती है।
शेयर स्प्लिट से शेयरधारकों को कैसे लाभ होता है?
स्टॉक स्प्लिट के माध्यम से शेयरधारकों को कई लाभ प्राप्त होते हैं। प्रति शेयर कीमत कम होने से, शेयर अधिक किफायती हो जाते हैं, जिससे छोटे निवेशकों के लिए निवेश करना आसान हो जाता है। यह शेयर की तरलता में वृद्धि करता है, जिससे बाजार में शेयरों की खरीद-बिक्री में आसानी होती है।
इसके अतिरिक्त, स्टॉक स्प्लिट कंपनी की वृद्धि और स्थिरता का संकेत देता है, जो निवेशकों के विश्वास को बढ़ाता है। हालांकि, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि स्टॉक स्प्लिट से कंपनी के कुल बाजार पूंजीकरण या निवेशक के कुल मूल्य में कोई परिवर्तन नहीं होता है।
स्टॉक स्प्लिट के नुकसान – Disadvantages of Stock Split In Hindi
स्टॉक स्प्लिट के कुछ संभावित नुकसान निम्नलिखित हैं:
- आंतरिक मूल्य में कोई वृद्धि नहीं: स्टॉक स्प्लिट से कंपनी के मौलिक मूल्य में कोई परिवर्तन नहीं होता है; यह केवल शेयरों की संख्या बढ़ाता है और प्रति शेयर कीमत कम करता है।
- अस्थिरता में वृद्धि: कम कीमत वाले शेयर अधिक सट्टेबाजों को आकर्षित कर सकते हैं, जिससे शेयर की कीमतों में अस्थिरता बढ़ सकती है।
- प्रशासनिक लागत: स्टॉक स्प्लिट की प्रक्रिया में कानूनी और अनुपालन खर्च शामिल होते हैं, जो कंपनी के लिए अतिरिक्त वित्तीय भार ला सकते हैं।
- निवेशकों में भ्रम: स्टॉक स्प्लिट से निवेशकों को यह गलतफहमी हो सकती है कि शेयर सस्ते हो गए हैं, जबकि वास्तविकता में कंपनी के कुल मूल्य में कोई बदलाव नहीं होता।
स्टॉक स्प्लिट का बाजार पर प्रभाव – Market Impact of Stock Split in Hindi
स्टॉक स्प्लिट का बाजार पर कई प्रभाव पड़ता है। प्रति शेयर कीमत कम होने से, शेयर अधिक किफायती हो जाते हैं, जिससे छोटे निवेशक भी निवेश के लिए आकर्षित होते हैं। यह शेयर की तरलता में वृद्धि करता है, जिससे बाजार में शेयरों की खरीद-बिक्री में आसानी होती है।
हालांकि, स्टॉक स्प्लिट से कंपनी के कुल बाजार पूंजीकरण में कोई परिवर्तन नहीं होता है। कभी-कभी, निवेशकों में यह धारणा बनती है कि स्टॉक स्प्लिट कंपनी की वृद्धि और स्थिरता का संकेत है, जिससे शेयर की मांग बढ़ सकती है। हालांकि, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि स्टॉक स्प्लिट से कंपनी के मौलिक मूल्य में कोई बदलाव नहीं होता है।
स्टॉक स्प्लिट बनाम बोनस शेयर – Stock Split vs Bonus Shares in Hindi
स्टॉक स्प्लिट और बोनस शेयर दोनों ही कंपनियों द्वारा अपनाई जाने वाली कॉर्पोरेट क्रियाएं हैं, जो शेयरधारकों को प्रभावित करती हैं। नीचे दिए गए तालिका में इन दोनों के बीच मुख्य अंतर प्रस्तुत किए गए हैं:
पैरामीटर | स्टॉक स्प्लिट | बोनस शेयर |
अर्थ | कंपनी अपने मौजूदा शेयरों को विभाजित करके प्रति शेयर मूल्य कम करती है, जिससे कुल शेयरों की संख्या बढ़ जाती है। | कंपनी अपने मौजूदा शेयरधारकों को बिना किसी अतिरिक्त लागत के अतिरिक्त शेयर जारी करती है, जिससे शेयरधारकों की होल्डिंग बढ़ती है। |
फेस वैल्यू पर प्रभाव | स्टॉक स्प्लिट के बाद, शेयर की फेस वैल्यू विभाजन अनुपात के अनुसार कम हो जाती है। उदाहरण के लिए, 1:2 स्प्लिट में, फेस वैल्यू आधी हो जाएगी। | बोनस शेयर जारी करने पर शेयर की फेस वैल्यू में कोई परिवर्तन नहीं होता है; यह पूर्ववत रहती है। |
कंपनी का उद्देश्य | शेयर की कीमत को कम करके इसे अधिक निवेशकों के लिए सुलभ बनाना और शेयर की तरलता में सुधार करना। | कंपनी के रिजर्व और सरप्लस का उपयोग करके शेयरधारकों को पुरस्कृत करना और उनके प्रति विश्वास बढ़ाना। |
शेयर पूंजी पर प्रभाव | स्टॉक स्प्लिट के बाद, कंपनी की कुल शेयर पूंजी में कोई परिवर्तन नहीं होता है; केवल शेयरों की संख्या बढ़ती है और प्रति शेयर मूल्य कम होता है। | बोनस शेयर जारी करने से कंपनी की शेयर पूंजी बढ़ती है, जबकि रिजर्व और सरप्लस में कमी आती है। |
निवेशकों पर प्रभाव | निवेशकों के पास शेयरों की संख्या बढ़ जाती है, लेकिन प्रत्येक शेयर का मूल्य कम हो जाता है, जिससे कुल निवेश मूल्य अपरिवर्तित रहता है। | निवेशकों के पास अतिरिक्त शेयर आ जाते हैं, जिससे उनकी कुल होल्डिंग बढ़ती है, लेकिन प्रति शेयर आय (EPS) कम हो सकती है। |
विषय को समझने के लिए और अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए, नीचे दिए गए संबंधित स्टॉक मार्केट लेखों को अवश्य पढ़ें।
स्टॉक स्प्लिट के बारे में संक्षिप्त सारांश
- स्टॉक स्प्लिट एक कॉर्पोरेट प्रक्रिया है जिसमें कंपनी अपने मौजूदा शेयरों को विभाजित करके कुल शेयरों की संख्या बढ़ाती है, जबकि प्रत्येक शेयर का मूल्य आनुपातिक रूप से कम हो जाता है। इससे शेयर अधिक सुलभ बनते हैं।
- स्टॉक स्प्लिट दो प्रकार के होते हैं। फॉरवर्ड स्टॉक स्प्लिट में शेयरों की संख्या बढ़ती है और कीमत कम होती है, जबकि रिवर्स स्टॉक स्प्लिट में शेयरों की संख्या घटती है और कीमत बढ़ती है।
- स्टॉक स्प्लिट से छोटे निवेशक आकर्षित होते हैं क्योंकि कीमत कम हो जाती है। यह शेयर की तरलता बढ़ाने के साथ-साथ कंपनी के विकास का संकेत भी देता है।
- स्टॉक स्प्लिट में कंपनी अनुपात तय करती है, रिकॉर्ड तिथि निर्धारित करती है और निवेशकों को अतिरिक्त शेयर जारी करती है, जिससे कुल शेयरों की संख्या बढ़ जाती है।
- कंपनियां शेयरों की कीमत कम करने, अधिक निवेशकों को आकर्षित करने और शेयरों की तरलता बढ़ाने के लिए स्टॉक स्प्लिट का निर्णय लेती हैं, जिससे प्रतिस्पर्धात्मकता बनी रहती है।
- शेयरधारकों को अधिक शेयर प्राप्त होते हैं, जिससे उनकी होल्डिंग बढ़ती है। शेयर की कीमत कम होने से ट्रेडिंग आसान होती है और तरलता में वृद्धि होती है।
- स्टॉक स्प्लिट से कंपनी के वास्तविक मूल्य में बदलाव नहीं होता। अधिक शेयरों के कारण अस्थिरता बढ़ सकती है और सट्टेबाजों की दिलचस्पी भी बढ़ सकती है।
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स्टॉक स्प्लिट के फायदे के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
स्टॉक स्प्लिट से शेयर की कीमत कम होती है, जिससे छोटे निवेशकों को निवेश का मौका मिलता है। यह तरलता बढ़ाता है और शेयर बाजार में अधिक ट्रेडिंग को प्रोत्साहित करता है।
स्टॉक स्प्लिट एक कॉर्पोरेट प्रक्रिया है जिसमें कंपनी अपने मौजूदा शेयरों को विभाजित करती है, जिससे प्रति शेयर कीमत कम हो जाती है लेकिन कुल बाजार पूंजीकरण अपरिवर्तित रहता है।
रिवर्स स्टॉक स्प्लिट में कंपनी अपने शेयरों को मिलाकर कम संख्या में उच्च मूल्य वाले शेयर बनाती है, जिससे प्रति शेयर कीमत बढ़ती है और कुल शेयरों की संख्या घट जाती है।
सामान्य स्टॉक स्प्लिट एक फॉरवर्ड स्प्लिट होता है, जिसमें कंपनी अपने प्रत्येक शेयर को छोटे हिस्सों में विभाजित करती है, जिससे प्रति शेयर मूल्य कम हो जाता है और कुल शेयरों की संख्या बढ़ जाती है।
स्टॉक स्प्लिट में शेयरों की संख्या बढ़ती है और कीमत घटती है, जबकि स्टॉक लाभांश में कंपनी अपने मुनाफे से नए शेयर जारी करके शेयरधारकों को लाभ देती है।
स्टॉक स्प्लिट अनुपात (जैसे 2:1 या 3:1) के आधार पर नई शेयर संख्या की गणना की जाती है। उदाहरण के लिए, 2:1 स्प्लिट में आपके 100 शेयर 200 हो जाएंगे, और प्रति शेयर मूल्य आधा हो जाएगा। आज ही Alice Blue के साथ 15 मिनट में निःशुल्क डीमैट खाता खोलें!
10 फॉर 1 स्टॉक स्प्लिट का मतलब है कि हर 1 मौजूदा शेयर को 10 नए शेयरों में विभाजित किया जाएगा, जिससे प्रति शेयर मूल्य 1/10 रह जाएगा, लेकिन कुल मूल्य वही रहेगा।
स्टॉक स्प्लिट शेयर की कीमत को कम करके इसे अधिक निवेशकों के लिए सुलभ बनाता है, जबकि बोनस शेयर बिना किसी निवेश के अतिरिक्त शेयर प्रदान करता है। दोनों के अपने फायदे होते हैं।
हां, स्टॉक स्प्लिट के बाद प्रति शेयर मूल्य घटता है, लेकिन कुल बाजार पूंजीकरण नहीं बदलता। हालांकि, निवेशकों की धारणा के कारण कीमतों में अस्थायी उतार-चढ़ाव हो सकता है।
स्टॉक स्प्लिट से शेयर की तरलता बढ़ती है और निवेशकों की पहुंच आसान होती है। हालांकि, यह केवल शेयरों को विभाजित करता है और कंपनी के मौलिक मूल्य को प्रभावित नहीं करता।
स्टॉक स्प्लिट के बाद प्रति शेयर डिविडेंड घट सकता है, लेकिन कुल डिविडेंड भुगतान में कोई बदलाव नहीं होता, क्योंकि निवेशकों के पास अधिक शेयर हो जाते हैं।
डिस्क्लेमर: उपरोक्त लेख शैक्षिक उद्देश्यों के लिए लिखा गया है, और लेख में उल्लिखित कंपनियों का डेटा समय के साथ बदल सकता है। उद्धृत प्रतिभूतियाँ अनुकरणीय हैं और अनुशंसात्मक नहीं हैं।