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What is Primary Market in Hindi

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प्राइमरी मार्केट / न्यू इश्यू मार्केट अर्थ – What is Primary Market in Hindi

प्राइमरी मार्केट, जिसे न्यू इश्यू मार्केट भी कहा जाता है, वह स्थान है जहां कंपनियां या सरकारें पहली बार निवेशकों को नई प्रतिभूतियां जारी करके पूंजी जुटाती हैं। इस प्रक्रिया में, कंपनियां अपने व्यवसाय के विस्तार के लिए धन एकत्र करने हेतु शेयर या बॉन्ड जारी करती हैं। प्राइमरी मार्केट में जारी की गई प्रतिभूतियां बाद में सेकेंडरी मार्केट में ट्रेड की जाती हैं। इस प्रकार, प्राइमरी मार्केट पूंजी जुटाने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। 

Table of Contents

प्राइमरी मार्केट / न्यू इश्यू मार्केट के कार्य – Functions of Primary Market in Hindi

प्राइमरी मार्केट, जिसे न्यू इश्यू मार्केट भी कहा जाता है, के मुख्य कार्य निम्नलिखित हैं:

  • नई प्रतिभूतियों की पेशकश: कंपनियां या सरकारें पहली बार निवेशकों को नई प्रतिभूतियां जारी करके पूंजी जुटाती हैं।
  • हामीदारी सेवाएं (Underwriting Services): वित्तीय संस्थान अंडरराइटर के रूप में कार्य करते हैं, जो नई इश्यू की सफलता सुनिश्चित करने के लिए अनसोल्ड शेयरों की खरीद का आश्वासन देते हैं।
  • नए इश्यू का वितरण: नई प्रतिभूतियों को जनता तक पहुंचाने के लिए वितरण प्रक्रिया का आयोजन किया जाता है, जिसमें प्रॉस्पेक्टस जारी करके निवेशकों को आमंत्रित किया जाता है।
  • निजी प्लेसमेंट (Private Placement): कंपनियां चुनिंदा निवेशकों या संस्थानों को सीधे प्रतिभूतियां जारी करके पूंजी जुटाती हैं, जिससे समय और लागत की बचत होती है।
  • अधिमान्य इश्यू (Preferential Issue): कंपनियां मौजूदा शेयरधारकों या चुनिंदा निवेशकों को विशेष शर्तों पर प्रतिभूतियां जारी करती हैं, जिससे त्वरित रूप से धन जुटाया जा सकता है। 
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प्राइमरी मार्केट उपकरण  – Primary Market Instruments in Hindi

प्राइमरी मार्केट में विभिन्न वित्तीय उपकरणों का उपयोग किया जाता है, जो कंपनियों और सरकारों को पूंजी जुटाने में सहायता करते हैं। मुख्य प्राइमरी मार्केट उपकरण निम्नलिखित हैं:

  1. इक्विटी शेयर (Equity Shares): कंपनियां अपने स्वामित्व का हिस्सा निवेशकों को बेचकर पूंजी जुटाती हैं। इक्विटी शेयर धारकों को कंपनी के लाभ में हिस्सा और मतदान का अधिकार मिलता है।
  2. डेबेंचर (Debentures): ये दीर्घकालिक ऋण उपकरण हैं जिनके माध्यम से कंपनियां निवेशकों से धन उधार लेती हैं और एक निश्चित ब्याज दर का भुगतान करती हैं। डेबेंचर धारकों को कंपनी के स्वामित्व में हिस्सा नहीं मिलता।
  3. बॉन्ड (Bonds): सरकारें और कंपनियां बॉन्ड जारी करके धन जुटाती हैं। बॉन्ड धारकों को एक निश्चित अवधि के बाद मूल धन और ब्याज का भुगतान किया जाता है।
  4. राइट इश्यू (Right Issue): कंपनियां मौजूदा शेयरधारकों को रियायती मूल्य पर अतिरिक्त शेयर खरीदने का अवसर प्रदान करती हैं, जिससे वे अपनी हिस्सेदारी बढ़ा सकते हैं।
  5. आईपीओ (Initial Public Offering): कंपनियां पहली बार सार्वजनिक रूप से शेयर जारी करके स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध होती हैं, जिससे वे व्यापक निवेशकों से पूंजी जुटा सकती हैं। 

प्राइमरी मार्केट उदाहरण – Primary Market Examples in Hindi

प्राइमरी मार्केट में कंपनियां और सरकारें पहली बार निवेशकों को नई प्रतिभूतियां जारी करके पूंजी जुटाती हैं। इसके कुछ प्रमुख उदाहरण निम्नलिखित हैं:

  1. आरंभिक सार्वजनिक प्रस्ताव (IPO): जब कोई कंपनी पहली बार अपने शेयर सार्वजनिक रूप से जारी करती है, जैसे पेटीएम का आईपीओ।
  2. फॉलो-ऑन पब्लिक ऑफरिंग (FPO): जब एक पहले से सूचीबद्ध कंपनी अतिरिक्त शेयर जारी करती है।
  3. सरकारी बॉन्ड का निर्गम: सरकारें बॉन्ड जारी करके धन जुटाती हैं।
  4. राइट्स इश्यू: कंपनियां मौजूदा शेयरधारकों को रियायती मूल्य पर अतिरिक्त शेयर खरीदने का अवसर प्रदान करती हैं।
  5. प्राइवेट प्लेसमेंट: कंपनियां चुनिंदा निवेशकों या संस्थानों को सीधे प्रतिभूतियां जारी करती हैं।

प्राइमरी मार्केट के लाभ – Benefits of Primary Market in Hindi

प्राइमरी मार्केट, जिसे न्यू इश्यू मार्केट भी कहा जाता है, कंपनियों और सरकारों को नई प्रतिभूतियां जारी करके सीधे निवेशकों से पूंजी जुटाने में सक्षम बनाता है। इसके प्रमुख लाभ निम्नलिखित हैं:

  • प्रत्यक्ष पूंजी संग्रह: कंपनियां सीधे निवेशकों से पूंजी जुटाकर अपने व्यवसाय के विस्तार, ऋण कम करने या नई परियोजनाओं में निवेश के लिए धन प्राप्त करती हैं।
  • उच्च तरलता: प्राइमरी मार्केट में जारी की गई प्रतिभूतियां उच्च तरलता प्रदान करती हैं, क्योंकि उन्हें लगभग तुरंत सेकेंडरी मार्केट में बेचा जा सकता है।
  • कीमत में हेरफेर की कम संभावना: सेकेंडरी मार्केट की तुलना में, प्राइमरी मार्केट में कीमत में हेरफेर की संभावनाएं कम होती हैं, जिससे निवेशकों के लिए एक निष्पक्ष और पारदर्शी वातावरण सुनिश्चित होता है।
  • आर्थिक विकास में योगदान: प्राइमरी मार्केट के माध्यम से, सामुदायिक बचत को निवेश में परिवर्तित किया जाता है, जो समग्र आर्थिक विकास में योगदान देता है।
  • निवेश के नए अवसर: निवेशकों को नई प्रतिभूतियों में निवेश करने का अवसर मिलता है, जिससे उनके पोर्टफोलियो में विविधता आती है और संभावित लाभ के अवसर बढ़ते हैं। 

प्राइमरी मार्केट के नुकसान – Disadvantages of Primary Market in Hindi

प्राइमरी मार्केट, जहां कंपनियां और सरकारें नई प्रतिभूतियां जारी करके पूंजी जुटाती हैं, के कुछ नुकसान निम्नलिखित हैं:

  • सूचना की कमी: निवेशकों के पास कंपनी के बारे में सीमित जानकारी होती है, जिससे सूचित निर्णय लेना कठिन हो सकता है।
  • लिक्विडिटी की कमी: प्राइमरी मार्केट में खरीदी गई प्रतिभूतियों को तुरंत सेकेंडरी मार्केट में बेचना हमेशा संभव नहीं होता, जिससे निवेशकों के लिए लिक्विडिटी की समस्या हो सकती है।
  • जोखिम का उच्च स्तर: नई प्रतिभूतियों में निवेश करते समय, निवेशकों को कंपनी के भविष्य के प्रदर्शन के बारे में अनिश्चितता का सामना करना पड़ता है, जिससे जोखिम बढ़ जाता है।
  • मूल्य निर्धारण की जटिलता: प्राइमरी मार्केट में प्रतिभूतियों की कीमत निर्धारित करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है, जिससे निवेशकों को उचित मूल्यांकन का पता लगाना कठिन हो सकता है।
  • नियामक प्रक्रियाओं की जटिलता: प्राइमरी मार्केट में प्रतिभूतियों को जारी करने के लिए कंपनियों को विभिन्न नियामक आवश्यकताओं का पालन करना पड़ता है, जो समय-साध्य और महंगा हो सकता है।

प्राइमरी मार्केट में निवेश कैसे करें – How to Invest in Primary Market in Hindi

  1. डीमैट और ट्रेडिंग खाता खोलें: Alice Blue ब्रोकरेज के साथ अपना डीमैट और ट्रेडिंग खाता खोलें, जिससे आप इलेक्ट्रॉनिक रूप से शेयर रखने और खरीदने-बेचने में सक्षम बन सकें।
  2. निवेश के अवसरों की पहचान करें: प्राइमरी मार्केट में निवेश के लिए उपलब्ध नए इश्यू, जैसे आईपीओ (Initial Public Offerings), के बारे में जानकारी प्राप्त करें। इसके लिए आप एलीस ब्लू जैसे प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध सूचनाओं का उपयोग कर सकते हैं।
  3. प्रॉस्पेक्टस का अध्ययन करें: कंपनी द्वारा जारी किए गए प्रॉस्पेक्टस को ध्यान से पढ़ें, जिसमें कंपनी की वित्तीय स्थिति, उद्देश्यों, जोखिम कारकों आदि की जानकारी होती है। यह आपको सूचित निवेश निर्णय लेने में मदद करेगा।
  4. आवेदन प्रक्रिया पूरी करें: चुने हुए आईपीओ या अन्य नए इश्यू के लिए आवेदन करें। इसके लिए अपने ब्रोकर के माध्यम से ऑनलाइन या ऑफलाइन आवेदन फॉर्म भरें और आवश्यक धनराशि का भुगतान करें।
  5. आवंटन की प्रतीक्षा करें: आवेदन के बाद, आवंटन की प्रक्रिया पूरी होने तक प्रतीक्षा करें। यदि आपको शेयर आवंटित होते हैं, तो वे आपके डीमैट खाते में क्रेडिट हो जाएंगे।

प्राइमरी मार्केट और द्वितीयक बाजार में अंतर – Difference between Primary and Secondary Market in Hindi

राइमरी मार्केट और सेकेंडरी मार्केट के बीच मुख्य अंतर निम्नलिखित सारणी में प्रस्तुत किए गए हैं:

विशेषताप्राइमरी मार्केटसेकेंडरी मार्केट
परिभाषानए शरों या बॉन्ड्स का निवेशकों को पहली बार जारी किया जाना। पहले से जारी किए गए शेयरों या बॉन्ड्स का निवेशकों के बीच खरीद-फरोख्त। 
लेनदेन के पक्षकारंपनी और निवेशक के बीच सीधा लेनदेन। निवेशकों के बीच लेनदेन; कंपनी शामिल नहीं होती। 
मूल्य निर्धारणकंप द्वारा निर्धारित मूल्य पर प्रतिभूतियों की बिक्री। शेयरों की कीमतांग और आपूर्ति के आधार पर निर्धारित होती है। 
उद्देश्यकंपनियों के लिए पूंजी जुटाना। निवेशकों के लिए तरलता और निवेश के अवसर प्रदान करना।
उदाहरणआईपीओ (Initial Public Offering) के माध्यम से नए शेयरों का निर्गम। स्टॉक एक्सचेंजों (जैसे BSE, NSE) पर शेयरों की ट्रेडिंग। 

प्राथमिक बाजार में सेबी की भूमिका – Role of SEBI in Primary Market in Hindi

प्राथमिक बाजार में भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) की भूमिका महत्वपूर्ण है। इसकी मुख्य जिम्मेदारियाँ निम्नलिखित हैं:

  • नियामक कार्य: सेबी मर्चेंट बैंकर, अंडरराइटर, ब्रोकर, शेयर ट्रांसफर एजेंट, म्यूचुअल फंड, ट्रस्टी आदि को नियंत्रित करता है और उनके लिए आचार संहिता, नियम और विनियम निर्धारित करता है।
  • निवेशकों के हितों की सुरक्षा: सेबी निवेशकों के हितों की रक्षा करता है, उन्हें धोखाधड़ी और अनुचित व्यापार प्रथाओं से बचाता है, और निवेश विकल्पों का मूल्यांकन कैसे करें, इसके बारे में उन्हें शिक्षित करता है।
  • सूचना का पारदर्शी प्रकटीकरण: सेबी कंपनियों को निवेशकों के लिए आवश्यक सूचनाओं का पारदर्शी प्रकटीकरण सुनिश्चित करने के लिए नियम बनाता है, जिससे निवेशक सूचित निर्णय ले सकें।
  • प्रवर्तकों के लिए दिशानिर्देश: सेबी प्रवर्तकों के लिए दिशानिर्देश निर्धारित करता है, जैसे कि शेयरों के आवंटन के नियम, जिससे प्राथमिक बाजार में निष्पक्षता बनी रहे।
  • नए निर्गमों की निगरानी: सेबी नए निर्गमों की निगरानी करता है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि कंपनियां सभी नियामक आवश्यकताओं का पालन कर रही हैं और निवेशकों के साथ निष्पक्ष व्यवहार कर रही हैं।

प्राइमरी मार्केट में जोखिम प्रबंधन – Risk Management in Primary Market in Hindi

प्राइमरी मार्केट में निवेश करते समय जोखिम प्रबंधन के लिए निम्नलिखित बिंदुओं पर ध्यान देना आवश्यक है:

  1. अंडरराइटिंग सेवाएं: नए इश्यू लॉन्च करते समय अंडरराइटर महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यदि कंपनी आवश्यक संख्या में शेयर नहीं बेच पाती है, तो अंडरराइटर बिना बिके शेयरों को खरीदने के लिए जिम्मेदार होते हैं, जिससे निवेशकों का जोखिम कम होता है।
  2. जोखिम की पहचान और मूल्यांकन: निवेशकों को संभावित जोखिमों की पहचान करके उनका मूल्यांकन करना चाहिए, जिससे वे उचित कार्रवाई कर सकें और संभावित नुकसान को कम कर सकें।
  3. पोर्टफोलियो का विविधीकरण: विभिन्न क्षेत्रों और उद्योगों में निवेश फैलाने से किसी एक निवेश में होने वाले नुकसान का प्रभाव कम होता है, जिससे समग्र जोखिम प्रबंधन में सहायता मिलती है।
  4. नियामक अनुपालन: भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) द्वारा निर्धारित नियमों और विनियमों का पालन करना आवश्यक है, जिससे बाजार में पारदर्शिता और निष्पक्षता बनी रहती है।
  5. निरंतर निगरानी: बाजार की स्थितियों और निवेशों की नियमित निगरानी करके, निवेशक समय पर आवश्यक समायोजन कर सकते हैं, जिससे जोखिम को प्रभावी ढंग से प्रबंधित किया जा सकता है।

प्राइमरी मार्केट / न्यू इश्यू मार्केट अर्थ – त्वरित सारांश

  • प्राइमरी मार्केट में कंपनियां पूंजी जुटाने के लिए नए शेयर और बॉन्ड जारी करती हैं, जिससे आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलता है। इसमें आईपीओ, एफपीओ, निजी प्लेसमेंट, अधिकार निर्गम और ईक्विटी शेयर जैसे वित्तीय उपकरण शामिल होते हैं।
  • टाटा टेक्नोलॉजीज का आईपीओ और रिलायंस इंडस्ट्रीज का एफपीओ प्राइमरी मार्केट के प्रमुख उदाहरण हैं। यह कंपनियों को पूंजी जुटाने, निवेशकों को उच्च रिटर्न और अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करता है।
  • नए निवेशकों के लिए जोखिम अधिक होता है, शेयरों की तरलता कम होती है और बाजार में अस्थिरता बनी रहती है। डीमैट और ट्रेडिंग खाता खोलें, आईपीओ में आवेदन करें और उचित शोध के बाद निवेश करें।
  • प्राइमरी मार्केट में नए शेयर जारी होते हैं, जबकि द्वितीयक बाजार में पहले से जारी शेयरों की खरीद-बिक्री होती है। सेबी निवेशकों की सुरक्षा, पारदर्शिता सुनिश्चित करने और नए निर्गमों के नियमन के लिए जिम्मेदार होता है।
  • अंडरराइटिंग, विविधीकरण, नियामक अनुपालन और निरंतर निगरानी से प्राइमरी मार्केट के जोखिमों को कम किया जाता है।
  • आज ही 15 मिनट में एलिस ब्लू के साथ निःशुल्क डीमैट खाता खोलें! स्टॉक, म्यूचुअल फंड, बॉन्ड और आईपीओ में निःशुल्क निवेश करें। साथ ही, हर ऑर्डर पर सिर्फ़ ₹20/ऑर्डर ब्रोकरेज पर ट्रेड करें।
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प्राइमरी मार्केट / न्यू इश्यू मार्केट – अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

1. प्राइमरी मार्केट में निवेश कैसे करें?

प्राइमरी मार्केट में निवेश करने के लिए सबसे पहले किसी प्रमाणित ब्रोकर (जैसे Alice Blue) के माध्यम से डीमैट और ट्रेडिंग खाता खोलें। इसके बाद, आईपीओ, एफपीओ या अन्य जारी किए गए नए शेयरों में आवेदन करें और नियामकीय दिशानिर्देशों का पालन करें।

2. प्राइमरी मार्केट में कौन भाग ले सकता है?

प्राइमरी मार्केट में खुदरा निवेशक, संस्थागत निवेशक, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (FPI) और म्यूचुअल फंड कंपनियां भाग ले सकती हैं। ये सभी निवेशक नए जारी किए गए शेयरों और बॉन्ड्स में निवेश कर सकते हैं।

3. IPO क्या होता है?

आईपीओ (Initial Public Offering) वह प्रक्रिया है जिसमें कोई कंपनी पहली बार सार्वजनिक रूप से अपने शेयर जारी करके पूंजी जुटाती है। यह निवेशकों को कंपनी के शुरुआती शेयर खरीदने का अवसर देता है।

4. प्राइमरी मार्केट और द्वितीयक बाजार में क्या अंतर है?

प्राइमरी मार्केट में नए शेयर और बॉन्ड्स जारी होते हैं, जबकि द्वितीयक बाजार में पहले से जारी प्रतिभूतियों की खरीद-बिक्री होती है। प्राइमरी मार्केट में धन कंपनी को जाता है, जबकि द्वितीयक बाजार में निवेशकों के बीच लेन-देन होता है।

5. प्राइमरी मार्केट में सेबी की क्या भूमिका है?

सेबी (SEBI) प्राइमरी मार्केट में पारदर्शिता सुनिश्चित करता है, कंपनियों के निर्गम को विनियमित करता है, निवेशकों के हितों की रक्षा करता है और धोखाधड़ी से बचाने के लिए नियम लागू करता है।

6. प्राइमरी मार्केट में जोखिम क्या हैं?

प्राइमरी मार्केट में निवेशकों को मूल्य अस्थिरता, कंपनी की वित्तीय स्थिति की अनिश्चितता, लिस्टिंग के बाद शेयर मूल्य में गिरावट और बाजार की अस्थिरता का सामना करना पड़ सकता है।

7. क्या प्राइमरी मार्केट में निवेश करना सुरक्षित है?

प्राइमरी मार्केट में निवेश अपेक्षाकृत सुरक्षित हो सकता है यदि निवेशक पूरी जांच-पड़ताल और कंपनी की वित्तीय स्थिति का विश्लेषण करके निर्णय लें। हालांकि, इसमें बाजार और लिस्टिंग जोखिम बना रहता है।

8. प्राइमरी मार्केट में न्यूनतम निवेश कितना होता है?

आईपीओ में न्यूनतम निवेश राशि निर्भर करता है, लेकिन आमतौर पर खुदरा निवेशकों के लिए यह 10,000-15,000 रुपये तक हो सकती है। प्रत्येक इश्यू के लिए अलग-अलग नियम हो सकते हैं।

9. प्राइमरी मार्केट से जुड़े महत्वपूर्ण दस्तावेज कौन से हैं?

प्राइमरी मार्केट में निवेश के लिए रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस (RHP), ड्राफ्ट रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस (DRHP), आवेदन पत्र, डीमैट खाता विवरण और सेबी द्वारा अनुमोदित दस्तावेज आवश्यक होते हैं।

10. प्राइमरी मार्केट में लिस्टिंग प्रक्रिया क्या है?

लिस्टिंग प्रक्रिया में सेबी की स्वीकृति, रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस जारी करना, निवेशकों से आवेदन प्राप्त करना, शेयर आवंटन, रजिस्ट्रार द्वारा सत्यापन और अंततः स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्टिंग शामिल होती है।

विषय को समझने के लिए और अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए, नीचे दिए गए संबंधित स्टॉक मार्केट लेखों को अवश्य पढ़ें।

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डिस्क्लेमर: उपरोक्त लेख शैक्षिक उद्देश्यों के लिए लिखा गया है, और लेख में उल्लिखित कंपनियों का डेटा समय के साथ बदल सकता है। उद्धृत प्रतिभूतियाँ अनुकरणीय हैं और अनुशंसात्मक नहीं हैं।

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